भागलपुर, 15 मई: केंद्र सरकार द्वारा लाए गए चार नए लेबर कोड्स के खिलाफ देशव्यापी आम हड़ताल को सफल बनाने के लिए आज भागलपुर के काजवलीचक स्थित सेवा कार्यालय में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की ओर से एक संयुक्त जिला स्तरीय कार्यकर्ता कन्वेंशन का आयोजन किया गया। इस कन्वेंशन में विभिन्न मजदूर संगठनों के प्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इसमें ऐक्टू (AICCTU), एटक (AITUC), सीटू (CITU), सेवा (SEWA), इंटक (INTUC) सहित अन्य यूनियनों के नेता शामिल हुए।
कार्यक्रम का उद्देश्य 20 मई को प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल को सफल बनाने की रणनीति तय करना और मजदूरों के बीच केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ जनजागरूकता बढ़ाना था।
कन्वेंशन को संबोधित करते हुए ऐक्टू के राज्य व जिला सचिव मुकेश मुक्त ने कहा कि यह हड़ताल सिर्फ एक दिन की सांकेतिक कार्रवाई नहीं, बल्कि मजदूरों के हक और सम्मान की लड़ाई है। “सरकार द्वारा लाए गए चार लेबर कोड्स से मजदूरों के मूल अधिकार छिन जाएंगे। इन्हें किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। 20 मई की हड़ताल मजदूर वर्ग की एकता और संघर्ष का प्रतीक बनेगी।”
उन्होंने बताया कि नए लेबर कोड्स के लागू होने से काम के घंटे बढ़ेंगे, अनुबंध मजदूरी को बढ़ावा मिलेगा, ट्रेड यूनियन की स्वतंत्रता पर अंकुश लगेगा और सामाजिक सुरक्षा कमजोर होगी। “यह सीधे तौर पर मजदूरों की आजीविका और गरिमा पर हमला है,” उन्होंने कहा।
सीटू के प्रतिनिधि सतीश यादव ने कहा, “लेबर कोड्स कारपोरेट्स के हित में हैं। ये कानून मजदूरों को संगठित होने, संघर्ष करने और न्यूनतम मजदूरी पाने के अधिकार से वंचित कर देंगे। हमें इन नीतियों के खिलाफ सड़क से संसद तक आवाज उठानी होगी।”
सेवा यूनियन की महिला नेता पुष्पा देवी ने कहा कि महिला श्रमिकों की स्थिति पहले से ही कठिन है, और ये कोड्स उनके लिए हालात और बदतर बना देंगे। “हमें अपने हक की लड़ाई खुद लड़नी होगी। महिलाओं को बड़ी संख्या में 20 मई की हड़ताल में भाग लेना चाहिए,” उन्होंने कहा।
कन्वेंशन में ट्रेड यूनियनों के बीच आपसी समन्वय और सहयोग को मजबूत करने पर भी जोर दिया गया। वक्ताओं ने कहा कि इस बार की हड़ताल सिर्फ ट्रेड यूनियनों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि इसमें किसानों, छात्रों, नौजवानों, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों और सरकारी कर्मचारियों की भी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी।
कई वक्ताओं ने सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि वह पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए श्रम सुधारों के नाम पर मजदूरों को हाशिए पर धकेल रही है। उन्होंने बताया कि इन कानूनों को बिना समुचित चर्चा और संसद में बहस के पारित किया गया है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है।
इंटक के जिला सचिव राजेश कुमार ने कहा, “अब समय आ गया है जब मजदूर एक होकर अपनी ताकत का एहसास कराएं। हम सरकार को यह संदेश देंगे कि मजदूरों की उपेक्षा अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
कार्यक्रम के अंत में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें सभी ट्रेड यूनियनों और संगठनों से अपील की गई कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर मजदूरों को इस हड़ताल के महत्व के बारे में बताएं और उन्हें अधिक से अधिक संख्या में शामिल करें।
इसके अलावा, कन्वेंशन में एक जागरूकता अभियान चलाने की योजना भी बनाई गई, जिसके तहत आने वाले दिनों में भागलपुर के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों, निर्माण स्थलों और बाजारों में मजदूरों से संवाद किया जाएगा। पोस्टर, पर्चे और सोशल मीडिया के माध्यम से हड़ताल का प्रचार-प्रसार किया जाएगा।
कन्वेंशन में यह भी निर्णय लिया गया कि 19 मई को भागलपुर में एक मजदूर मार्च निकाला जाएगा, जो जिले के प्रमुख स्थलों से होकर गुजरेगा और आम जनता को मजदूरों के मुद्दों से अवगत कराएगा।
कार्यक्रम के अंत में सभी यूनियन प्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर संकल्प लिया कि 20 मई को होने वाली आम हड़ताल को ऐतिहासिक बनाया जाएगा और इसे एक व्यापक जन आंदोलन में बदला जाएगा।
**निष्कर्षतः**, भागलपुर में आयोजित यह कन्वेंशन मजदूरों के हक और सम्मान की लड़ाई के लिए एक मजबूत कदम माना जा रहा है। इसमें लिए गए निर्णय और आपसी एकजुटता आने वाले संघर्षों को नई दिशा देंगे। 20 मई की हड़ताल अब सिर्फ एक तिथि नहीं, बल्कि मजदूर वर्ग की आवाज बन चुकी है।
