भागलपुर: साल 2011 में निकाली गई होमगार्ड की बहाली प्रक्रिया अब तक अधर में लटकी हुई है, जिससे नाराज़ होकर भागलपुर जिले के विभिन्न प्रखंडों से आए सैकड़ों अभ्यर्थियों ने मंगलवार को जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव किया। लंबे समय से बहाली प्रक्रिया के पूरे नहीं होने से आक्रोशित अभ्यर्थियों ने जमकर नारेबाजी की और सरकार से जल्द नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने की मांग की।
प्रदर्शन के दौरान “नौकरी नहीं तो वोट नहीं” और “हमारा हक हमें दो” जैसे नारों से पूरा जिलाधिकारी परिसर गूंज उठा। अभ्यर्थियों ने स्पष्ट कहा कि 13 वर्षों से वे लगातार उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। उनका कहना है कि जब तक उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं मिल जाता, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
प्रदर्शन में शामिल अभ्यर्थियों ने बताया कि वर्ष 2011 में होमगार्ड पदों पर बहाली के लिए आवेदन मांगे गए थे। इसके बाद उन्होंने शारीरिक परीक्षा और दस्तावेज़ सत्यापन जैसी सारी प्रक्रियाएं पूरी कर लीं, लेकिन इसके बावजूद आज तक अंतिम चयन सूची जारी नहीं की गई है। उनका आरोप है कि सरकार इस बहाली प्रक्रिया को लेकर गंभीर नहीं है और लगातार सिर्फ आश्वासन देकर समय टाल रही है।
प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों ने चेतावनी दी कि यदि जल्द कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो वे आगामी विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे। उनका कहना है कि अब सब्र का बाँध टूट चुका है। कई अभ्यर्थियों ने बताया कि वे अब ओवरएज हो चुके हैं और यदि यह नौकरी नहीं मिलती है, तो उनके पास भविष्य के लिए कोई विकल्प नहीं बचता।
प्रदर्शन को देखते हुए जिलाधिकारी डॉ. नवल किशोर चौधरी ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आपात बैठक बुलाई। बैठक के बाद जिलाधिकारी ने प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया कि होमगार्ड बहाली को लेकर जल्द ही कोई ठोस निर्णय लिया जाएगा। जिलाधिकारी के आश्वासन के बाद कुछ हद तक स्थिति शांत हुई, लेकिन अभ्यर्थियों ने दोहराया कि केवल आश्वासन से अब काम नहीं चलेगा, उन्हें लिखित नियुक्ति पत्र चाहिए।
अभ्यर्थियों ने यह भी कहा कि अगर सरकार ने अब भी उनकी मांगों को नजरअंदाज किया, तो वे पूरे राज्य में आंदोलन को तेज करेंगे और जनसभा, धरना-प्रदर्शन से लेकर सोशल मीडिया तक पर अपनी आवाज बुलंद करेंगे। उन्होंने सरकार को याद दिलाया कि लोकतंत्र में जनता की ताकत सबसे बड़ी होती है और अगर समय रहते न्याय नहीं मिला, तो इसका जवाब जनता वोट से देगी।
कुछ अभ्यर्थियों ने भावुक होकर कहा कि उन्होंने अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण साल इस बहाली के इंतज़ार में गंवा दिए हैं। उन्होंने दूसरे किसी नौकरी की तैयारी नहीं की और आज वे इस स्थिति में हैं कि कहीं और आवेदन भी नहीं कर सकते। यह सिर्फ रोजगार नहीं, बल्कि उनके आत्मसम्मान और अस्तित्व का सवाल है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मामले में कितनी गंभीरता दिखाती है और क्या सच में इन अभ्यर्थियों को उनका हक दिला पाती है या फिर यह आंदोलन किसी बड़े जनविरोध में बदल जाएगा।
**निष्कर्ष:**
भागलपुर में होमगार्ड अभ्यर्थियों का यह प्रदर्शन सिर्फ एक नौकरी की मांग नहीं, बल्कि वर्षों से लटकी एक सरकारी प्रक्रिया के खिलाफ जनाक्रोश का प्रतीक बन चुका है। अगर सरकार ने समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो इसका असर आने वाले चुनावों पर भी पड़ सकता है।
