गोपालपुर – बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (संबद्ध महासंघ गोप गुट) ने अपनी लंबित मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संघ ने आगामी 20 मई से 24 मई 2025 तक राज्यव्यापी हड़ताल की घोषणा की है, जिसमें सभी आशा कार्यकर्ता एवं आशा फैसिलिटेटर्स भाग लेंगे।

संघ की ओर से गोपालपुर के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को सौंपे गए ज्ञापन में बताया गया है कि वर्ष 2023 में हुई 32 दिवसीय हड़ताल के बाद सरकार ने आशा फैसिलिटेटर्स की मासिक प्रोत्साहन राशि को ₹1000 से बढ़ाकर ₹2500 करने का निर्णय लिया था। लेकिन अब तक यह आदेश धरातल पर लागू नहीं हुआ है, जिससे कार्यकर्ताओं में असंतोष है।

ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं में आशा कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका होती है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें समय पर मानदेय और प्रोत्साहन राशि नहीं दी जाती। संघ का कहना है कि सरकार द्वारा कई बार लिखित और मौखिक आश्वासन दिए जाने के बावजूद उनकी मांगों पर अमल नहीं किया गया।

संघ की मांगों में प्रमुख रूप से शामिल हैं:

  1. वर्ष 2023 में हुई सहमति के अनुसार प्रोत्साहन राशि ₹1000 से बढ़ाकर ₹2500 करने का आदेश तुरंत लागू किया जाए।
  2. सभी लंबित भुगतानों का समयबद्ध निपटारा किया जाए।
  3. आशा कार्यकर्ताओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।
  4. आशा कार्यकर्ताओं के लिए ईपीएफ और पेंशन की सुविधा लागू की जाए।
  5. स्वास्थ्य बीमा की सुविधा सभी आशा कार्यकर्ताओं को प्रदान की जाए।
  6. हड़ताल में भाग लेने वाले किसी भी कार्यकर्ता पर दमनात्मक कार्रवाई न की जाए।
  7. सरकार एवं संगठन के बीच संवाद के लिए स्थायी तंत्र का गठन किया जाए।

इस हड़ताल की सूचना के साथ जिला प्रशासन सहित राज्य सरकार को आगाह किया गया है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो आशा कार्यकर्ता पूर्ण रूप से कार्य बहिष्कार करेंगी, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

ज्ञापन पर जिला संयोजक श्रीमती रिंकू देवी के हस्ताक्षर हैं। उन्होंने बताया कि यह आंदोलन पूर्णतः शांतिपूर्ण होगा, लेकिन सरकार की उदासीनता जारी रही तो आगामी समय में आंदोलन को और उग्र रूप दिया जा सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह हड़ताल प्रभावी रही, तो ग्रामीण क्षेत्रों की प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं जैसे टीकाकरण, प्रसव पूर्व देखभाल और बच्चों की निगरानी पर गंभीर असर पड़ेगा। अब देखना यह होगा कि सरकार इन मांगों पर क्या रुख अपनाती है।

मौजूद आशा फैसलेटर

आशा वर्मा, नीलमा कुमारी , रूबी आलम, महावती

आशा कार्यकर्ता

अनीता कुमारी रीना कुमारी,सोनी, अर्चना, निशा, रंजना, नूतन, रत्ना श्यामा, रूबी, ललिता, सरिता,रिंकू, सैकड़ों आशा कार्यकर्ता मौजूद थे।

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