बिहार सरकार द्वारा संचालित कन्या उत्थान योजना के तहत स्नातक उत्तीर्ण छात्राओं को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि फिलहाल आधार जांच में अटक गई है। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने राज्य सरकार को बिना अनुमति आधार सत्यापन करने पर आपत्ति जताते हुए इसे मार्च महीने में रोक दिया है। इससे राज्य की 5 लाख से अधिक छात्राओं को मिलने वाली 50-50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि पर फिलहाल विराम लग गया है।
यूआईडीएआई ने स्पष्ट किया है कि उसकी पूर्व अनुमति के बिना किसी व्यक्ति के आधार की जांच नहीं की जा सकती। इसके जवाब में राज्य सरकार ने इस मुद्दे के समाधान के लिए आवश्यक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। सरकार ने महाधिवक्ता की राय ली है और अब आधार सत्यापन की अनुमति के लिए एक गजट अधिसूचना प्रकाशित कर आवेदन करने की प्रक्रिया में है। गजट प्रकाशित होने के बाद, उसे यूआईडीएआई को भेजकर आधार जांच की आधिकारिक अनुमति प्राप्त की जाएगी।
इस बीच, सरकार ने आवेदन प्रक्रिया को पारदर्शी और त्रुटिरहित बनाने के लिए तकनीकी उपाय भी किए हैं। शिक्षा विभाग ने एक नया सॉफ्टवेयर तैयार करवाया है जिसमें राज्य के सभी विश्वविद्यालयों द्वारा स्नातक उत्तीर्ण छात्राओं के रिजल्ट अपलोड किए गए हैं। वर्तमान में इस पोर्टल पर 5 लाख से अधिक छात्राओं का रिजल्ट उपलब्ध है। छात्राएं पोर्टल पर आवेदन करेंगी, जिसके बाद उनके आवेदन को विश्वविद्यालयों द्वारा अपलोड किए गए रिजल्ट से मिलाया जाएगा और फिर आधार जांच के बाद ही राशि उनके खाते में भेजी जाएगी।
बिहार सरकार की यह योजना अप्रैल 2018 से लागू है। प्रारंभ में छात्राओं को 25-25 हजार रुपये की राशि दी जाती थी, जिसे एक अप्रैल 2021 से बढ़ाकर 50 हजार कर दिया गया। अब तक इस योजना के तहत 6 लाख से अधिक छात्राओं को कुल 2600 करोड़ रुपये से अधिक की राशि दी जा चुकी है। योजना का उद्देश्य छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना और उनमें आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है।
हालांकि, पहले छात्राओं के बैंक खातों में सीधे राशि हस्तांतरित की जाती थी, लेकिन कुछ मामलों में डुप्लीकेसी और फर्जीवाड़े की शिकायतें मिली थीं। इन गड़बड़ियों को रोकने और योजना की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए सरकार ने आधार सत्यापन को अनिवार्य किया है।
इस नई व्यवस्था के लागू होने से जहां छात्राओं को समय पर लाभ मिलेगा, वहीं किसी भी प्रकार की अनियमितता पर भी रोक लगेगी। सरकार का प्रयास है कि जल्दी से जल्दी यह प्रक्रिया पूर्ण कर छात्राओं को योजना का लाभ पहुंचाया जा सके।