इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून के समय से पहले दस्तक देने की संभावना जताई जा रही है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुमान के अनुसार, मानसून 27 मई को केरल पहुंचेगा, जो कि सामान्य तिथि एक जून से चार दिन पूर्व है। मानसून का समय से पहले आगमन न केवल दक्षिण भारत बल्कि पूर्वी राज्यों विशेषकर बिहार के लिए भी राहतभरी खबर हो सकती है।
आईएमडी के अनुसार, अगर मानसून 27 मई को केरल पहुंचता है, तो यह 2009 के बाद सबसे जल्दी आगमन होगा। वर्ष 2009 में मानसून 23 मई को केरल पहुंचा था। मौसम विभाग के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून 8 जुलाई तक पूरे देश में फैल जाता है और 15 अक्टूबर तक धीरे-धीरे वापस लौट जाता है।
बिहार की बात करें तो मानसून के 13 से 15 जून के बीच पहुंचने की संभावना है। पिछले साल 2024 में बिहार में मानसून पांच दिन की देरी से 20 जून को पहुंचा था और सामान्य से 20 प्रतिशत कम बारिश हुई थी। जबकि 2023 में मानसून 12 जून को पहुंचा, लेकिन तब भी सामान्य से 23 प्रतिशत कम बारिश रिकॉर्ड की गई। वर्ष 2020 से 2022 के बीच बिहार में मानसून 13 जून को आया था, परंतु 2021 के बाद से आज तक मानसून सीजन में सामान्य से अधिक बारिश नहीं हुई है।
बिहार में मानसून के दौरान औसतन 1272.5 मिमी बारिश होती है। पिछले कुछ वर्षों से बारिश की कमी से खेती और जल-स्रोतों पर असर पड़ा है। ऐसे में अगर 2025 में मानसून समय से पूर्व आता है, तो इससे अच्छी बारिश और खेती के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बन सकती हैं। हालांकि, मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि मानसून की वास्तविक स्थिति तब ही स्पष्ट हो पाएगी, जब वह बिहार में दस्तक देगा। अगर मौसम चक्र मानसून का समर्थन करेंगे, तो सामान्य से अधिक वर्षा की संभावना है।
आईएमडी द्वारा 15 मई को मानसून पूर्वानुमान की आधिकारिक रिपोर्ट जारी की जाएगी, जिसमें केरल और बिहार सहित पूरे देश में मानसून आगमन की विस्तृत जानकारी दी जाएगी। यह रिपोर्ट किसानों, नीति-निर्माताओं और आम जनता के लिए महत्वपूर्ण होगी क्योंकि इससे वर्षा आधारित कृषि योजनाओं की रूपरेखा तैयार की जा सकेगी।
इस प्रकार, मानसून के समय से पहले आगमन की संभावना ने उम्मीदों को जन्म दिया है कि इस बार बारिश अच्छी हो सकती है। फिर भी, इसकी पुष्टि आगामी मौसम रिपोर्ट और बिहार में मानसून की वास्तविक स्थिति से ही हो सकेगी।