भारत में हाल ही में हुई एक घिनौनी आतंकी वारदात ने न केवल देश को झकझोर दिया, बल्कि पूरी दुनिया को भी आक्रोशित कर दिया। अमेरिका, सऊदी अरब, चीन, रूस, इटली और दक्षिण कोरिया समेत अनेक देशों ने इस कायराना हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है। इन देशों ने साफ तौर पर कहा है कि वे आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ हैं और इस वैश्विक संकट से लड़ने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सऊदी अरब दौरे के दौरान दोनों देशों ने आतंकवाद को मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया। सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि आतंकवाद सिर्फ एक देश की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरी मानव जाति के लिए गंभीर चुनौती है। दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि आतंक के खिलाफ वैश्विक एकता आवश्यक है और सभी देशों को इसमें अपना सक्रिय योगदान देना चाहिए।
अमेरिकी सांसदों ने भी बुधवार को एकजुट होकर कहा कि अमेरिका भारत के साथ खड़ा है और आतंकवाद के खिलाफ उसकी लड़ाई में उसका समर्थन करता है। अमेरिकी संसद के सदस्यों ने आतंक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की और कहा कि इस प्रकार की घटनाओं से दुनिया को और अधिक सतर्क होकर कार्रवाई करनी होगी।
चीन ने भी इस हमले की निंदा की है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि उनका देश आतंकवाद का विरोध करता है और भारत के इस कठिन समय में उसके साथ है। यह बयान इस बात का संकेत है कि भले ही राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर मतभेद हों, लेकिन आतंकवाद जैसे गंभीर मसलों पर दुनिया के बड़े देश एक साथ खड़े हो सकते हैं।
रूस, इटली और दक्षिण कोरिया ने भी इस हमले की आलोचना की और आतंकवाद के विरुद्ध भारत के साथ सहयोग करने की प्रतिबद्धता जताई। रूस ने इसे मानवता के खिलाफ अपराध बताया और भारत को हर संभव मदद देने की बात कही।
इस घटनाक्रम से स्पष्ट है कि आतंकवाद अब किसी एक देश की समस्या नहीं रह गई है। यह एक वैश्विक संकट बन चुका है, जिससे निपटने के लिए सभी देशों को अपने राजनीतिक मतभेद भुलाकर एकजुट होना होगा। भारत के साथ वैश्विक समर्थन यह दर्शाता है कि जब बात मानवता और सुरक्षा की हो, तो दुनिया साथ आ सकती है।
यह घटना न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी है कि आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए सिर्फ कड़े शब्द नहीं, बल्कि ठोस और सामूहिक कार्रवाई की जरूरत है।