कश्मीर के पहलगाम में हुए निर्मम आतंकी हमले में 26 लोगों की हत्या के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के विरुद्ध कड़े कदम उठाए हैं। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट सुरक्षा समिति (CCS) की ढाई घंटे लंबी बैठक में कई ऐतिहासिक निर्णय लिए गए। इन फैसलों में सबसे अहम फैसला 1960 से चली आ रही सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित करना रहा।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि इस हमले में पाकिस्तान की संलिप्तता है। इसी को आधार बनाकर भारत सरकार ने यह सख्त कदम उठाया है। सिंधु जल संधि के अंतर्गत भारत केवल 20 फीसदी पानी का ही उपयोग कर सकता था, जबकि 80 फीसदी पानी पाकिस्तान को मिलता रहा है। यह संधि अब तक शांतिपूर्वक निभाई जाती रही थी, लेकिन अब इसके स्थगन से पाकिस्तान को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। विशेष रूप से पाकिस्तान के पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा जैसे प्रांतों की कृषि और पेयजल व्यवस्था इस पर निर्भर करती है।

भारत सरकार ने इस हमले को सिर्फ आतंकी हमला नहीं बल्कि राष्ट्र की संप्रभुता पर सीधा हमला मानते हुए व्यापक स्तर पर कार्रवाई की है। तीनों सेनाओं को हाई अलर्ट पर रखा गया है और सीमा क्षेत्रों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। इसके अलावा अटारी सीमा पर स्थित चेक पोस्ट को बंद कर दिया गया है जिससे सीमा पार आवाजाही पूरी तरह से ठप हो गई है।

एक और बड़ा निर्णय पाकिस्तान के उच्चायोग से संबंधित है। भारत ने वहां कार्यरत पाकिस्तानी सेना, नौसेना और वायुसेना के सभी रक्षा सलाहकारों को ‘गैर जरूरी’ घोषित करते हुए उनके विशेषाधिकार समाप्त कर दिए हैं। यह कदम कूटनीतिक स्तर पर पाकिस्तान के लिए एक और बड़ा झटका है।

सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान सरकार ने भारत के इन अभूतपूर्व फैसलों को लेकर गुरुवार को आपात बैठक बुलाई है जिसमें प्रधानमंत्री और सेना प्रमुखों सहित उच्च अधिकारी शामिल होंगे। इस बैठक में भारत की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों के संभावित प्रभावों पर चर्चा की जाएगी और प्रतिक्रिया तय की जाएगी।

भारत सरकार का यह स्पष्ट संदेश है कि अब आतंक के खिलाफ कोई समझौता नहीं होगा। यह कदम न सिर्फ पाकिस्तान को कड़ा संदेश देता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी यह दिखाता है कि भारत अपनी सुरक्षा और नागरिकों की रक्षा के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। भविष्य में इन निर्णयों का असर दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर गहराई से देखा जाएगा।

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