झारखंड की तीन लड़कियों को दिल्ली ले जाकर बेंचने की कोशिश का सनसनीखेज मामला सामने आया है.
तीनों लड़कियां साहिबगंज जिले के बरहेट थाना क्षेत्र के तेलों पंचायत की बताई जा रही हैं. वह बहुत गरीब परिवार से आती हैं, इसलिए अपने गांव के ही कुछ दलालों के बहकावे में आकर दिल्ली चली गई थीं. दलालों ने पहले बच्चियों के परिजनों को लुभाने के लिए प्रत्येक परिवार को 8,000 रुपये दिए . जिससे गरीब परिवारों ने अपनी बेटियों को काम के बहाने बाहर भेजने का फैसला किया . उन पाँच लड़कियों में दो सगी बहनें भी शामिल थीं और सभी की उम नाबालिग व बालिग के बीच की बताई जा रही है. वे अपनी आपबीती में पुलिस को बताई कि दिल्ली के शकूरपुर इलाके में पहुंचने के बाद, इन बच्चियों को अलग-अलग घरों में घरेलू कामकाज के लिए लगा दिया गया. शुरुआती दिनों में उन्हें ढांढस बंधाया गया कि वे अच्छा पैसा कमाएंगी और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा. लेकिन एक महीने के भीतर ही तीन लड़कियों के साथ अमानवीय व्यवहार होने लगा.
बताया जा रहा है कि दलाल उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने लगे और घरेलू काम के अलावा अन्य कार्य करने का दबाव बनाने लगे. इन लड़कियों के लिए यह प्रताड़ना असहनीय होती चली गई और वे भागने के लिए मजबूर हो गईं. मुसीबत में फंसी तीनों लड़कियों ने हिम्मत दिखाई और किसी तरह दिल्ली के रेलवे स्टेशन पहुंचीं.
वहां से उन्होंने कटिहार आने वाली ट्रेन पकड़ ली. कटिहार स्टेशन पर पहुंचकर उन्होंने प्लेटफॉर्म पर रात बिताई. उसके बाद किसी तरह मनिहारी स्टेशन पर थकी-हारी पहुंची. डरी-सहमी बच्चियों की हालत देख रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने उनसे बातचीत की और उन्हें अपनी सुरक्षा में ले लिया. जीआरपी थाने में पहुंचने के बाद, पुलिस ने बच्चियों के गांव के मुखिया और परिजनों से संपर्क करने की कोशिश की. साहिबगंज के बोरियो प्रखंड के तेलो पंचायत के मुखिया को सूचना दी गई ताकि उनके परिजनों से पुष्टि की जा सके. उचित जानकारी प्राप्त होने के बाद पुलिस ने तीनों बच्चियों को उनके परिजनों के हवाले कर दिया.
बच्चियों की आपबीती सुनने के बाद गांव में हलचल फैल गई. इन तीनों लड़कियों की इस आपबीती ने गांव के लोगों में खलबली मचा दी है. माता-पिता जहां एक ओर अपनी बच्चियों के सुरक्षित वापस लौटने से राहत महसूस कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर वे गांव के दलालों की इस हरकत से बेहद आक्रोशित हैं. गांव वालों ने प्रशासन से ऐसे दलालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है . ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके. इस घटना ने एक बार फिर मानव तस्करी और श्रमिक के बढ़ते खतरों की ओर समाज का ध्यान आकर्षित किया है. गरीबी और अशिक्षा का फायदा उठाकर दलालों द्वारा बच्चों को बड़े शहरों में भेजने के मामले आए दिन सामने आते हैं. इन बच्चियों की आपबीती ने इस गंभीर समस्या की ओर प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया है और कड़े कदम उठाने की आवश्यकता को बल दिया है.
साहिबगंज और इसके आसपास के क्षेत्रों में इस प्रकार की घटनाएं रोकने के लिए प्रशासन और सामाजिक संगठनों द्वारा सामूहिक रूप से पहल करने की आवश्यकता है. गांवों में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को इस तरह के खतरों के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए . इसके साथ ही बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पंचायत और स्थानीय प्रशासन को सतर्कता बरतनी चाहिए. यह घटना झारखंड और अन्य राज्यों में हो रहे मानव तस्करी के मामलों पर सवाल खड़ा करती है और सरकार व स्थानीय प्रशासन से ठोस कदम उठाने की अपेक्षा करती है, ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित किया जा सके.