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थाने में गए पीड़ित की शिकायत आधे घंटे के भीतर सुनी जाएगी। अगर ज्यादा देर तक उन्हें इंतजार करवाया गया और बात ऊपर के अधिकारियों तक पहुंची तो थाने के संबंधित पदाधिकारी पर कार्रवाई तय है। किसी भी पीड़ित को ज्यादा देर तक थाने पर बैठाना किसी भी कीमत पर उचित नहीं है।

पीआइबी की ओर से मीडिया कार्यशाला ‘‘वार्तालाप’’ के आयोजन के दौरान बिहार पुलिस अकादमी के निदेशक व आईपीएस अधिकारी भृगु श्रीनिवासन ने बताया कि डीजीपी ने सभी जिलों की पुलिस को ये निर्देश दिये हैं कि आम लोगों को किसी तरह की परेशानी न हो। इसके अलावा सभी थानों में तैनात अलग-अलग केस के आईओ को लैपटॉप और एंड्रायट मोबाइल दिया जाएगा। बिहार पुलिस जल्द ही डिजिटल पुलिस बनेगी। सभी आईओ को उनका अलग ई-मेल दिया जाएगा। इसके बाद सभी सीसीटीएनएस (अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क योजना) पर एक्टिव होंगे। डिजिटल तौर से बिहार पुलिस पूरे देश में आठवें स्थान पर है। दूसरी ओर इंस्पेक्टर और दारोगा स्तर के अफसरों को भी कई अधिकार दिये गये हैं।

अब तीन साल या उससे कम सजा वाले केस का सुपरविजन थानेदार भी अपने स्तर से कर सकते हैं।

नया आपराधिक कानून न्याय केंद्रित कन्नन

सीआईडी के पुलिस महानिरीक्षक पी. कन्नन ने कहा कि नया आपराधिक कानून दंड-केंद्रित नहीं, न्याय केंद्रित है। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध पर खास फोकस किया गया है। पीआईबी की महानिदेशक डॉ. प्रज्ञा पालीवाल गौड़ ने कहा कि नये आपराधिक कानून का उद्देश्य पीड़ितों को न्याय दिलाना है। कार्यशाला में पीआईबी, पटना के अपर महानिदेशक एसके मालवीय, उपनिदेशक संजय कुमार मौजूद रहे।

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