पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे चुनिंदा नेताओं में से थे जिनके पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ मित्र हुआ करते थे इसीलिए उन्हें राजनीति में ‘अजातशत्रु’ कहा गया है. आज उनकी जयंती पर पूरा देश अपने नेता को याद कर रहा है. उनके विचार और लिए गए फैसले आज भी प्रासंगिक हैं. पिछले दिनों जब मध्य प्रदेश में नई सरकार बनी तो विधानसभा से देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर हटा दी गई. जरा सोचिए अगर अटल होते तो क्या कहते? एक बार भरी संसद में उन्होंने नेहरू की तस्वीर का किस्सा सुनाया था. यह दो दशक से भी ज्यादा समय पहले की बात है. संसद में वाजपेयी का भाषण चल रहा था. उन्होंने कहा कि साउथ ब्लॉक में नेहरू जी का चित्र लगा रहता था. मैं आते-जाते देखता था. नेहरू जी के साथ सदन में नोकझोंक भी हुआ करती थी. वह मुस्कुरा कर बोले- मैं नया था, पीछे बैठता था. कभी-कभी तो बोलने के लिए मुझे वॉकआउट करना पड़ता था. 

वाजपेयी ने आगे बताया कि लेकिन धीरे-धीरे मैंने जगह बनाई, आगे बढ़ा. और जब मैं विदेश मंत्री बन गया तो एक दिन मैंने देखा कि गलियारे में टंगा नेहरू जी का फोटो गायब है. मैंने कहा कि ये चित्र कहां गया? कोई उत्तर नहीं दिया. वो चित्र वहां फिर से लगा दिया गया. यह सुनते ही सदन में बैठे सदस्य मेज थपथपाने लगे. 

 

एमपी विधानसभा में नेहरू की तस्वीर हटाने पर कांग्रेस ने विरोध जताया तब नवनिर्वाचित अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने इस पर निर्णय लेने के लिए विधायकों की एक समिति गठित की है. दरअसल, विधानसभा अध्यक्ष के आसन के पीछे नेहरू की तस्वीर लगी रहती थी और जुलाई में इस तस्वीर को हटाकर संविधान निर्माता डॉ. बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की तस्वीर लगा दी गई. वैसे भी, भाजपा कई मुद्दों को लेकर नेहरू पर आरोप लगाती रहती है. 

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