समुद्री जीवों पर बड़ी मुसीबत मंडरा रही है. वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन के कारण शताब्दी के आखिर तक महासागरों के ‘ट्विलाइट जोन’ में समुद्री जीवों की आबादी में 20-40 फीसदी की गिरावट आ सकती है. ट्विलाइट जोन समुद्र का वह इलाका होता है, जहां गहराई 200-1000 मीटर होती है.

वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि फ्यूचर में हाई एमिशन्स के कारण अगले 150 में कई समुद्री जीवों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा. ये जीव हजारों साल बाद भी दोबारा पैदा नहीं हो पाएंगे. दरअसल सूर्य की रोशनी ‘ट्विलाइट जोन’ में बहुत कम पहुंचती है. यहां अरबों टन कार्बनिक पदार्थ और बहुत तरह के जीव पाए जाते हैं. नेचर कम्युनिकेशन्स मैगजीन में ब्रिटिश यूनिवर्सिटी के नतीजे प्रकाशित हुए हैं.

रिसर्चर्स के मुताबिक, समुद्र के ट्विलाइट जोन के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है. लेकिन फ्यूचर में क्या होने की संभावनाएं हैं, इसको अतीत के अनुभवों से परखा जा सकता है. रिसर्च की अगुआई करने वाले कार्डिफ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पॉल पियर्सन ने बताया, ‘हमने धरती पर करीब 5 करोड़ साल पहले और 1.5 करोड़ साल पहले दो गर्म दौर देखे हैं. इन दोनों अवधियों में बेहद ही कम समुद्री जीव ट्विलाइट जोन में रहा करते थे, वह इसलिए क्योंकि बहुत ही कम भोजन सरफेस के पानी से आता था.’

वहीं जेमी विल्सन, जो लिवरपूल यूनिवर्सिटी के हैं, ने बताया कि ‘समुद्र के कार्बन चक्र में ट्विलाइट जोन एक अहम किरदार अदा करता है. इसकी वजह है फाइटोप्लांकटन के इस्तेमाल किए ज्यादातर कार्बन डाइऑक्साइड का खत्म हो जाना. वह इसलिए क्योंकि समुद्र की सतह के नीचे उनके अवशेष पानी में डूबे रहते हैं. ‘

वहीं दूसरी ओर, समुद्र की दुनिया के बारे में अब भी इंसान काफी ज्यादा नहीं जान पाया है. पूरी दुनिया में ऑक्टोपस की 300 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं. सबसे खतरनाक और जहरीला ब्लू रिंग्ड ऑक्टोपस को माना जाता है.इसकी एक बाइट में ही इतना जहर होता है कि 25 लोग मौत की नींद हो जाएं. ये तस्मानिया समेत ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है. 

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