पाकिस्तान मूल के मशहूर लेखक तारिक फतेह का निधन हो गया है। वो लंबे समय से बीमार चल रहे थे। 73 वर्ष की उम्र में तारिक फतेह का इंतकाल हुआ। उनके निधन की जानकारी उनकी बेटी ने ट्वीट करते हुए दी है।

पाकिस्तान मूल के मशहूर लेखक तारिक फतह का लंबी बीमारी के बाद आज निधन हो गया। उनकी उम्र 73 साल थी। उनके निधन से चाहने वालों को बड़ा झटका लगा है। तारिक फतेह के निधन की जानकारी उनकी बेटी नताशा फतेह ने ट्वीट कर दी है। नताशा फतेह ने पिता की कई तस्वीरें ट्वीट करते हुए लिखा कि उन सभी के साथ उनकी क्रांति जारी रहेगी, जो उन्हें जानते थे और प्यार करते थे। तारिक़ फ़तह इस्लामी अतिवाद के खिलाफ मुखर होकर आवाज बुलंद करते थे।

वो उदारवादी इस्लाम के पक्ष को बढ़ावा देने के लिए प्रसिद्ध थे। वो कई बार भारत आ चुके थे। भारत में उन्हें मान-सम्मान भी मिलता था। वो खुद को भारत का बेटा तक कहते थे। चेजिंग अ मिराज: द ट्रैजिक इल्लुझ़न ऑफ़ ऐन इस्लामिक स्टेट उनकी प्रसिद्ध कृति है। आतंकवाद पर तारिक फतेह कई बार मुखर आवाज उठा चुके थे। इस कारण कई इस्लामिक अतिवादी संगठन उनका विरोध भी करती थी।

बेटी ने ट्वीट कर दी निधन की जानकारी

तारिक फतेह के निधन की जानकारी ट्वीट करते हुए उनकी बेटी नताशा फतेह ने दी है। नताशा ने अपने पिता की कई तस्वीरें ट्विटर पर शेयर कीं। साथ ही लिखा कि ”पंजाब का शेर, हिन्दुस्तान का बेटा, कनाडा से प्यार करने वाला, सच्चा वक्ता, न्याय के लिए लड़ने वाला और दलितों और शोषितों की आवाज तारिक फतेह का निधन। उन्होंने उन सभी लोगों के साथ अपने क्रांति जारी रखी, जो उनको प्यार करते थे।

जिहाद के सख्त विरोधी थे तारेक फतेह

इस्लामिक स्कॉलर तारेक फतेह जिहाद के सख्त विरोधी थे। उन्होंने हमेशा कहा कि दूसरों की जान लेना जिहाद नहीं है। फतेह हमेशा पाकिस्तान की सरकार और फौज के विरोधी रहे। वो खुद को हिंदुस्तानी कहते थे। तारिक फतेह का जन्म 20 नवंबर 1949 को पाकिस्तान के कराची शहर में हुआ।

तारिक फतेह पर लगा था मुल्क से गद्दारी का आरोप

1960 और 70 के दौर में जब पाकिस्तान में फौजी हुकूमत थी, तब तारिख फतेह का झुकाव वामपंथ की ओर हुआ। इस दौरान फतेह को दो बार जेल भी जाना पड़ा। 1977 में जनरल जिया उल हक ने उन पर मुल्क से गद्दारी का आरोप लगाया और इसके साथ ही अखबारों में कॉलम लिखने पर भी रोक लगा दी। इसके बाद 1987 में उन्होंने कनाडा शिफ्ट होने का फैसला किया। जिसके बाद से आखिरी सांसें लेने तक वो कनाडा में ही रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *