कहते हैं कि अन्न ही ब्रह्म है. रोटी में भगवान बसते हैं. भोजन से शरीर को ताकत मिलती है. पर क्या ऐसा हो सकता है कि किसी ने पैदा होने के बाद से बीस साल तक अन्न का एक दाना न खाया हो. भला ये कैसा संभव है, कि कोई बिना कुछ खाए कैसे जिंदा रह सकता है, पर ये एकदम सच है.

‘जाको राखे साईयां मार सके न कोए’ 

झारखंड के दुमका निवासी रहम उल अंसारी ने कुछ दिन पहले तक अनाज का एक दाना भी नहीं खाया था. वो जन्म से लेकर अब तक मुंह खोलने में पूरी तरह से असमर्थ थे. लेकिन डॉक्टरों ने उसकी सर्जरी करके उसे नया जीवन दे दिया. जहां पहले वह 20 सालों से कुछ भी खाने में असमर्थ था. अब वह आराम से खाना खा सकता है.

‘भगवान ये बीमारी किसी को भी न दे’

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रहम उल अंसारी जन्म से ही टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट एंकिलोसिस नामक गंभीर बीमारी से पीड़ित थे. जिसके कारण वो पैदा होने के बाद से लेकर अब तक अपना मुंह खोल पाते थे. मुंह पूरी तरह से बंद होने के कारण वो 20 साल से सिर्फ पेय पदार्थों पर जीवित थे. यानी अभी तक रहम ने अन्न का एक दाना भी नहीं खाया था. रहम को न सिर्फ खाने में बल्कि, बोलने में भी दिक्कत होती थी. इस बीमारी के कारण उनका चेहरा बिगड़ गया था. इलाज को लेकर परिजन कई दिनों तक अस्पतालों के चक्कर काटते रहे, लेकिन इस मामले में बीमारी की गंभीरता और सर्जरी की जटिलता को देखते हुए सही इलाज नहीं हो पा रहा था.

यूं हुई सर्जरी

किस्मत ने साथ दिया तो पिछले दिनों हेल्थ पॉइंट हॉस्पिटल में रहम उल की सर्जरी हुई, जिसके बाद वो अपना मुंह को खोल पाने में कामयाब हो सके. ऑपरेशन के दौरान उनके जबड़े को दोनों तरफ से खोपड़ी की हड्डी से अलग किया गया. रहम की सर्जरी करने वाले डॉक्टरों के मुताबिक टेम्पोरोमंडिबुलर जॉइंट ऐंकलोसिस की सर्जरी काफी जटिल होती है. ऐसे मामलों में मुंह बंद होने की वजह से एनेस्थीसिया देना भी मुश्किल काम होता है. डॉक्टरों के मुताबिक ऐंकलोसिस के कारण पीड़ित का नीचे का जबड़ा दोनों तरफ उसके खोपड़ी के हड्डी से जुड़ा था. 

फाइबर ऑप्टिक लैरिंगोस्कोप का कमाल

इस मरीज की सर्जरी के लिए खास तौर पर फाइबर ऑप्टिक लैरिंगोस्कोप मंगवाया गया था, जिसके बाद उन्हें एनेस्थीसिया दिया गया. 5 घंटे तक चले इस ऑपरेशन में चेहरे की विकृति को भी ठीक किया गया. कामयाब सर्जरी के बाद वो अपनी सामान्य जिंदगी जी रहे हैं. 

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