आस्था का महापर्व छठ की शुरुआत शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ हो गयी। चार दिनों तक चलने वाले पर्व के दूसरे दिन शनिवार को खरना होगा। इसके बाद रविवार को सायंकालीन अर्घ्य दिया जायेगा। चौथे दिन सोमवार को उगते सूरज को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होगा। शुक्रवार को अहले सुबह से ही शहर के विभिन्न गंगा घाटों पर छठ व्रतियों की भीड़ लगी रही। सबसे अधिक भीड़ बरारी पुल घाट व सीढ़ी घाट में रही।
छठ व्रतियों ने गंगा स्नान करने के बाद एक-दूसरे व्रतियों को सिंदूर लगाया। फिर पूजा-अर्चना कर अपने साथ प्रसाद बनाने के लिए गंगाजल ले गई। बड़ी खंजरपुर की व्रति संध्या मिश्रा ने बताया कि दोपहर में अरवा भोजन पकाया गया। इसमें अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी बनाई गई। खाने में सेंधा नमक का उपयोग किया गया। इसके बाद केले के पत्ते या बर्तन में प्रसाद निकालकर पहले पूजा अर्चना की। इसके बाद खुद प्रसाद ग्रहण करने के बाद परिवार व परिचितों के बीच कद्दू-भात का वितरण किया गया। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को खरना है। इस दिन व्रती चूल्हे पर रसिया, पूरी, खीर बनाकर खरना का प्रसाद तैयार करेंगी और संध्या के समय सूर्यदेव को भोग अर्पित करेंगी। प्रसाद ग्रहण के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जायेगा। इस बार वह 61 परिवारों का 121 सूप करेंगी। इधर, छठ व्रतियों के अनुसार छठ पर्व में गेहूं सुखाने व समान की खरीदारी तक में बड़ी सावधानी बरती जाती है। इस व्रत में शुद्धता और पवित्रता का विशेष महत्व है। शुक्रवार को व्रतियों ने अपनी छतों पर गेंहूं सुखाया।
आज संध्या सात बजे से खरना
जगन्नाथ मंदिर के पंडित सौरभ कुमार मिश्रा ने बताया कि खरना शनिवार को है। इस दिन व्रती पूरे दिन का उपवास रखती हैं। संध्या सात बजे से व्रति खरना की पूजा करेंगी। खरना के दिन शाम होने पर गुड़ की खीर का प्रसाद बना कर व्रती महिलाएं पूजा करने के बाद अपने दिनभर का उपवास खोलती हैं। फिर इस प्रसाद को सभी में बांट दिया जाता है। इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद व्रतियों के 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जायेगा। इस दिन प्रसाद बनाने के लिए मिट्टी के नए चूल्हे और आम की लकड़ी का प्रयोग करना शुभ माना जाता है। इस बार संध्या बेला में सात बजे से खरना का पूजा किया जाएगा। बाबा कुपेश्वरनाथ मंदिर के पंडित विजयानंद शास्त्री ने बताया कि छठ पर्व के पहले दिन कद्दू-दाल खाने से शरीर में उर्जा मिलती है। कद्दू खाने की परंपरा महाभारत काल से चली आ रही है। उन्होंने बताया कि मिथिला पंचांग के अनुसार रविवार को सायंकालीन अर्घ्य 5:35 में होगा। सोमवार को प्रात:कालीन अर्घ्य 6:26 मिनट से शुरू होगा। जबकि बनारसी पंचाग के अनुसार सांयकालीन अर्घ्य 5:35 मिनट तक होगा, जबकि सोमवार को प्रात:कालीन अर्घ्य 6:24 मिनट से शुरू होगा।
20 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने किया गंगा स्नान
छठ पूजा को लेकर गंगा स्नान के लिए शुक्रवार को भी भीड़ रही। इससे पहले दो दिनों तक दूसरे जिले के लोगों की भीड़ थी। पुल घाट छठ पूजा समिति के अध्यक्ष नवीन कुमार कुशवाहा ने बताया कि 20 से 25 हजार लोगों ने गंगा स्नान किया। शुक्रवार को स्थानीय लोगों की काफी भीड़ रही। इशाकचक, आदमपुर, बरारी, जीरोमाइल, जीछो आदि जगहों के लोगों ने स्नान किया और जल भरकर घर लेकर गये।
छठ में गज केसरी व पराक्रम योग का संयोग
इस बार छठ पूर्व में कई तरह के योग बन रहे हैं। यह पर्व लोगों को रोग से मुक्ति दिलाने व युवाओं के लिए नौकरी का द्वार खोलेगा। जगन्नाथ मंदिर के पंडित सौरभ कुमार मिश्रा ने बताया कि 29 अक्टूबर को खरना के दिन गज केसरी योग बन रहा है। व्रती 30 अक्टूबर को गज केसरी योग में ही सायंकालीन अर्घ्य देंगे। वहीं 31 अक्टूबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए पराक्रम योग बन रहा है। इसमें व्रती अपने व्रत का समापन करेंगे। उन्होंने बताया कि इस पर्व में सुकर्मा योग भी बन रहा है। इससे लोगों को रोगों से मुक्ति व परिवारिक मान-सम्मान में वृद्धि की संभावना है। साथ ही वृद्धि योग में परिवारिक सुख शांति होती है। व्यापारियों का व्यापार अच्छा होने की संभावना है।