बेगूसराय जिला में उत्पाद विभाग को ये बड़ी सफलता मिली. टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी करते हुए डेढ़ करोड़ से अधिक रुपए की विदेशी शराब बरामद की है. इस केस में एक बड़े जनप्रतिनिधि का नाम भी सामने आ रहा है लेकिन इस सफेदपोश का नाम बताने से विभाग ने इनकार किया है.
बेगूसराय. बिहार में लागू शराबबंदी के बीच जहां शराब तस्करों के द्वारा लगातार शराब का कारोबार किया जा रहा है तो वहीं उत्पाद विभाग एवं स्थानीय पुलिस के द्वारा भी लगातार कार्रवाई की जा रही है लेकिन अब शराब कारोबारियों ने भी कारोबार के लिए नए-नए प्रयोग करने शुरू कर दिए हैं. इसके लिए कारोबारियों के द्वारा किसी भी हद तक खतरे को भी उठाया जा रहा है. ताजा मामले में उत्पाद विभाग की टीम को बड़ी सफलता हाथ लगी है जब उसने गैस टैंकर में छिपा कर लाई गई तकरीबन डेढ़ करोड़ रुपए की शराब को जब्त किया है.
गैस कटर की लेनी पड़ी मदद
इतना ही नहीं शराब को टैंक लॉरी से निकालने के लिए गैस कटर के माध्यम से पहले गैस टैंकर को काटा गया तब जाकर उत्पाद विभाग की टीम शराब बरामदगी में सफल हो पाई. इस मामले में कहा जा सकता है कि अगर उत्पाद विभाग की टीम को सही जानकारी नहीं होती या फिर गैस टैंकर में कोई ज्वलनशील पदार्थ होता और फिर गैस टैंकर को काटा जाता तो फिर बड़ा हादसा हो सकता था.
सौ से अधिक टैंकरों के बीच छिपा कर रखी गई थी शराब वाली गैस टैंकर
सबसे बड़ी बात यह है कि उत्पाद विभाग के द्वारा बताया जा रहा है कि उक्त टैंकर लगभग 100 टैंकरों के बीच में छिपा कर रखी गई थी और वह भी रिफाइनरी के सबसे संवेदनशील गेट 10 नंबर गेट के समी. हालांकि उत्पाद विभाग के द्वारा बिना नाम बताए हुए कहा जा रहा है कि इस शराब कारोबार में एक बड़े जनप्रतिनिधि का नाम आ रहा है जिनके विरुद मामला दर्ज करवा कर अग्रिम कार्रवाई की जा रही है.
लगातार हो रही कार्रवाई
गौरतलब है कि उत्पाद विभाग की टीम के द्वारा अगस्त माह में 456 लोगों को पकड़ा गया था जिन्हें शराब बेचने और पीने के आरोप में जेल भेजा गया तो वहीं इस इस माह में पिछले 4 दिनों में लगभग 150 से अधिक संलिप्त लोगों को गिरफ्तार किया गया है साथ ही करोड़ों की शराब भी जब्त की गई है. फिलहाल पुलिस इसे बड़ी कार्रवाई मान रही है.
अधीक्षक बोले
अधीक्षक मद्य निषेध, अविनाश प्रकाश की मानें तो छापेमारी के दौरान उन्हें काफी कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ रहा है. पिछले माह छापेमारी के दौरान कई जगहों पर उत्पाद विभाग की टीम पर हमले भी किए गए थे. अब यहां सवाल उठता है कि सीमित संसाधनों के बीच शराब बंदी कानून को सफल बनाने में क्या उत्पाद विभाग या जिला पुलिस की टीम सफल हो पाएगी.