स्वदेश निर्मित विमानवाहक युद्धपोत विक्रांत को दो सितंबर को भारतीय नौसेना की सेवा में शामिल किया जाएगा. इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे और आईएनएस विक्रांत को इंडियन नेवी को सौंपेंगे. नया आईएनएस विक्रांत भारत में बना पहला एयर क्राफ्ट कैरियर है और इसके साथ ही भारत दुनिया के उन 6 देशों के एलीट ग्रुप में शामिल हो जाएगा, जो 40 हजार टन का एयरक्रॉफ्ट कैरियर बनाने में सक्षम हैं.

आईएनएस विक्रांत की लंबाई 262 मीटर है और पोत का वजन करीब 45000 टन है. इस पोत की ऊंचाई करीब करीब 59 मीटर यानी 15 मंजिला इमारत के बराबर है. अगर इसकी चौड़ाई की बात करें तो यह 62 मीटर चौड़ा है.

आईएनएस विक्रांत युद्धपोत में 88 मेगावाट बिजली की चार गैस टर्बाइनें लगी हैं और इसकी अधिकतम गति 28 (नॉट) समुद्री मील है. विक्रांत ने पिछले साल 21 अगस्त से अब तक समुद्र में परीक्षण के कई चरणों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है.

आईएनएस विक्रांत में 76 फीसदी कल-पुर्जे स्वदेशी है और यह युद्धपोत स्वदेश निर्मित उन्नत किस्म के हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) और हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) के अलावा MIG-29 के लड़ाकू जेट, कामोव-31, एमएच-60आर और मल्टी रोल हेलीकाप्टरों के साथ 30 विमानों से युक्त एयर विंग के संचालन में सक्षम है.

आईएनएस विक्रांत को खास तरीके से डिजाइन किया गया है, ताकि कम एरिया में एयरक्रॉफ्ट के टेक ऑफ और लैंडिंग की जा सके. इस युद्धपोत में आगे का हिस्सा ज्यादा उठा हुआ है, जिसे एसटीओबीएआर (शॉर्ट टेक-ऑफ बट आरेस्टेड लैंडिंग) डिजाइन कहते हैं और इसका फायदा यह है कि एयरक्रॉफ्ट कम जगह में आसानी से टेक ऑफ और लैंड कर लेता है.

आईएनएस विक्रांत टारगेट एलिफैंट है यानी ये इतना बड़ा है कि जंग के दौरान इसे छुपाया नहीं जा सकता है. इसलिए इसमें सुरक्षा के खास इंतजाम किए गए हैं ताकि दुश्मनों का सामना किया जा सके. आईएनएस विक्रांत में 32 मीडियम रेंज की सरफेस-टु-एयर मिसाइल होंगी. ये एके-630 रोटरी कैनन से लैस होगा. इसके अलावा इंडियन एंटी मिसाइल नेवल डेकॉय सिस्टम से लैस होगा, जो लेजर गाइडेड मिसाइल को टारगेट से डायवर्ट कर देता है. (फोटो सोर्स- इंडियन नेवी वीडियो स्क्रीनशॉट)

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