बिहार में बजट सत्र के दौरान शराबबंदी कानून में संशोधन के बाद इसमें गिरफ्तार होने वालों की संख्या में कमी आयी है. मद्य निषेध मंत्री सुनील कुमार ने शराबबंदी कानून पर बयान देते हुए बताया कि शराबबंदी पर डाटा बेस तैयार हो रहा है. उसके अध्यय के बाद अगर कोई शराबबंदी कानून में अगर और कोई कमी दिखेगी तो उसमें संशोधन पर विचार किया जायेगा.

पटनाः जदयू के जनसुनवाई कार्यक्रम में पार्टी कार्यालय पहुंचे मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग के मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि हम लोग प्रतिदिन शराबबंदी मामले में समीक्षा कर रहे हैं. एंटी लिकर टास्कफोर्स, एक्साइज की टीम और पुलिस की ओर से की जा रही कार्रवाई को लेकर डेली बेसिस पर हम लोग मॉनिटरिंग कर रहे हैं. इस उसके कारण गिरफ्तारियां बढ़ी है. पहले मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग की ओर से प्रतिदिन औसत 162 लोगों की गिरफ्तारी होती थी. लेकिन जून में यह प्रतिदिन 124 तक पहुंच गया है. शराब बंदी कानून में संशोधन के कारण अब जेल जाने वाले लोगों की संख्या में पहले की तुलना में कमी आई है.

” बिहार सरकार ने शराबबंदी कानून में सजा के प्रावधान को लेकर बजट सत्र के दौरान विधानसभा से संशोधन किया था और उसके तहत जुर्माना देकर लोगों को छोड़ने का प्रावधान किया गया है. शराबबंदी कानून में संशोधन का असर दिख रहा है. पहले जितनी संख्या में लोग जेल जाते थे अब उसमें काफी कमी आई है. हम लोग 3 से 4 महीने बाद डेटाबेस तैयार कर फिर से समीक्षा करेंगे. डाटाबेस के अध्ययन के बाद अगर कुछ कमियां दिखेगी तो उसके हिसाब से फिर हम लोग आगे की कार्रवाई भी करेंगे.”- सुनील कुमार, मंत्री, मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग

शराबबंदी कानून की सख्ती के साथ मॉनिटरिंगः सुनील कुमार का यह भी कहना है कि हम लोगों की सख्त मॉनिटरिंग हो रही है और शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करने की कोशिश भी की जा रही है. ऐसे जेल में शराबबंदी के तहत गिरफ्तार लोगों की संख्या जेल में बढ़ने पर शराबबंदी कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने भी सवाल खड़ा किया था और बिहार में सहयोगी बीजेपी और हम के नेताओं के साथ विपक्ष की ओर से भी निशाना साधा जाने लगा था. इसके बाद ही सरकार ने बजट सत्र में शराबबंदी कानून की सजा के प्रावधान में संशोधन किया और शराब पीने पर पकड़े जाने पर भी जुर्माना देकर छोड़ने की व्यवस्था की गई है और मंत्री के अनुसार उसका असर अब दिखने लगा है.

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