मेष संक्रांति पर्व अंग प्रदेश में अलग-अलग ढंगों से मनाया जाता है। भागलपुर जिले समेत पूरे अंगप्रदेश में इस लोकपर्व को सतुआनी व सिरुआ-विशुवा के नाम से भी जाना जाता है। बिहपुर के पंडित शंकर मिश्र व उनके सहायक मृत्युंजय मिश्रा बताते हैं कि 14 अप्रैल को विष्णुपदी संक्रांति है।

भगवान सूर्य पूरा करते हैं उत्तरायण की आधी परिक्रमा 

इस दिन वैशाख मास की प्रवृत्ति होती है। इसी संक्रांति पर भगवान सूर्य उत्तरायण की आधी परिक्रमा पूरी करते हैं। पंडित शंकर मिश्र बताते हैं कि इस दिन धर्मघट का दान, पितरों का तर्पण व मधुसूदन भगवान के पूजन का विशेष महत्व है। मेष संक्रांति में चार घंटे पूर्व से चार घंटे बाद तक आठ घंटे का पुण्यकाल रहता है। दूसरे दिन 15 अप्रैल को जूरी शीतला व्रत के नाम से जाना जाता है। इसे अंगप्रदेश में बासी पर्व के नाम से भी जाना जाता है। विष्णु स्मृति में मेष संक्रांति पर्व पर प्रात:स्नान महापातक के नाश करने वाला बताया गया है। इस दिन सत्तू दान करने का विधान है।

सिरुआ-विशुवा पर पतंगबाजी की रहती धूम

बिहपुर समेत पूरे नवगछिया अनुमंडल के शहरी व ग्रामीण इलाकों में सिरुआ-विशुवा पर्व पर पतंगबाजी की खूब धूम रहती है। बीते दो सप्ताह से जारी पतंगबाजी का भी अब समापन हो जाएगा। पतंगबाजी को लेकर बिहपुर के ग्रामीण इलाकों में काफी क्रेज है। पतंगबाजी करने के लिए बच्चे व युवा पतंगों के लिए मांझा चढ़ाने में दिनभर व्यस्त रहे। बाजार में रंग-विरंगी पतंगें सजी हुई हैैं। इस पर्व को लेकर लोगों में उत्‍साह है।

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