बिहार के सहरसा जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां नया बाजार स्थित एक निजी क्लिनिक में इलाज के लिए गए 28 वर्षीय युवक की मौत हो गई। मृतक के परिजनों ने इलाज कर रहे डॉक्टर पर गलत दवा देने का गंभीर आरोप लगाया है, जिससे युवक की हालत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई। यह मामला अब पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है।
मृतक की पहचान सुपौल जिले के पिपरा थाना क्षेत्र के नगर पंचायत वार्ड संख्या 10 निवासी स्वर्गीय बैजनाथ प्रसाद साह के पुत्र प्रवेश कुमार के रूप में हुई है। बताया गया कि प्रवेश पिपरा बाजार में मिठाई की दुकान चलाते थे और काफी मिलनसार व मेहनती युवक थे।
परिजनों के अनुसार, प्रवेश कुमार पिछले कुछ दिनों से सर्दी, खांसी और बुखार से पीड़ित थे। ऐसे में इलाज के लिए वे अपनी मां के घर बनगांव थाना क्षेत्र अंतर्गत बरियाही आए हुए थे, ताकि स्थानीय डॉक्टर से परामर्श लिया जा सके। शुक्रवार की सुबह करीब 10 बजे वे अपनी मामी अंजना देवी के साथ सहरसा शहर के नया बाजार इलाके में स्थित डॉक्टर एच. आर. मिश्रा के निजी क्लिनिक पर इलाज के लिए पहुंचे।
डॉक्टर ने प्रवेश कुमार की पूरी जांच करवाई और बताया गया कि ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट सहित अन्य आवश्यक जांच करवाई गई। परिजनों ने बताया कि रिपोर्ट आने के बाद शाम को डॉक्टर ने दवा लिखकर दी।
घटना की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि दवा खाने के तुरंत बाद ही युवक की तबीयत तेजी से बिगड़ने लगी। परिजनों का कहना है कि उन्होंने डॉक्टर से संपर्क किया, जिसके बाद डॉक्टर ने उन्हें सहरसा सदर अस्पताल ले जाने की सलाह दी। लेकिन, अस्पताल पहुंचने से पहले ही रास्ते में प्रवेश कुमार ने दम तोड़ दिया।
मृतक की मामी अंजना देवी ने बताया कि उसके भांजे को केवल सामान्य सर्दी, खांसी और बुखार था। रिपोर्ट में भी कोई गंभीर बीमारी सामने नहीं आई थी। इसके बावजूद डॉक्टर ने जिस प्रकार की दवा दी, उससे स्थिति और बिगड़ गई। उन्होंने डॉक्टर पर लापरवाही बरतने और गलत दवा देने का सीधा आरोप लगाया है।
प्रवेश की मौत की खबर सुनते ही परिजनों में कोहराम मच गया। सहरसा सदर अस्पताल में पहुंचते ही परिजनों ने हंगामा कर दिया। कुछ देर के लिए अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। हालांकि, स्थानीय लोगों और अस्पताल कर्मियों ने परिजनों को शांत कराया और मामले को सुलझाने की कोशिश की।
इसके बाद मृतक की मामी अंजना देवी ने सहरसा सदर थाना में लिखित शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में डॉक्टर एच. आर. मिश्रा पर गलत इलाज करने, लापरवाही बरतने और जानलेवा दवा देने का आरोप लगाया गया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से FIR दर्ज करने और डॉक्टर को गिरफ्तार करने की मांग की है।
इस पूरे मामले में पुलिस भी सक्रिय हो गई है। सहरसा सदर थाना अध्यक्ष सुबोध कुमार ने बताया कि परिजनों से प्राप्त आवेदन के आधार पर मामले की जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि जांच के बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
वहीं दूसरी ओर, घटना के बाद से ही डॉक्टर एच. आर. मिश्रा फरार हैं और उनका क्लिनिक बंद है। इससे लोगों के बीच यह संदेह और गहरा गया है कि डॉक्टर की गलती थी, जिसे छुपाने के लिए वे भाग गए हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसे कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं, जहां बिना सही जांच और सही अनुभव के इलाज करने वाले कुछ निजी डॉक्टरों की लापरवाही के कारण मरीजों की जान चली जाती है।
इस घटना ने जिले भर में चिकित्सा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक साधारण बीमारी के इलाज के दौरान हुई मौत ने प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी पर भी उंगलियां उठा दी हैं।
अब परिजन अपने बेटे को न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि दोषी डॉक्टर पर कड़ी कार्रवाई हो और भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हो।
बिहार में पहले भी इस तरह की घटनाएं सामने आती रही हैं, लेकिन इस बार मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि सभी प्रक्रिया जांच के बाद की गई थी और फिर भी इलाज के नाम पर गलत दवा दी गई।
प्रवेश कुमार की असमय मौत ने न सिर्फ उनके परिवार को तोड़ कर रख दिया, बल्कि समाज को भी यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या आज भी हम इलाज के लिए सुरक्षित हैं? या फिर चिकित्सा के नाम पर लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना रवैया हमारी जान ले सकता है।
अब देखना यह है कि पुलिस जांच कितनी निष्पक्ष होती है और क्या दोषी डॉक्टर को सजा मिलती है या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।
