भागलपुर जिले के पिरपैंती क्षेत्र में विकास की एक नई शुरुआत होने जा रही है। यहां 2400 मेगावाट क्षमता वाले ताप विद्युत संयंत्र की स्थापना की तैयारी जोरों पर है। यह परियोजना कोल इंडिया लिमिटेड के सहयोग से संचालित की जाएगी और इसमें केंद्र सरकार द्वारा 21,000 करोड़ रुपये से अधिक का भारी-भरकम निवेश प्रस्तावित है। यह न केवल राज्य की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने में मदद करेगा, बल्कि स्थानीय लोगों को रोज़गार और व्यवसाय के नए अवसर भी प्रदान करेगा।

इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए 1100 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है। प्रशासन द्वारा भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तेजी से पूरी करने की कोशिश की जा रही है, ताकि निर्माण कार्य शीघ्र प्रारंभ किया जा सके। हालांकि, मुआवज़े की राशि को लेकर कुछ ग्रामीणों में असंतोष है। कुछ किसानों का कहना है कि उन्हें उनकी ज़मीन का उचित मूल्य नहीं दिया जा रहा है और उन्होंने पारदर्शिता की मांग की है। दूसरी ओर, बड़ी संख्या में ग्रामीण इस परियोजना के पक्ष में हैं और चाहते हैं कि संयंत्र का कार्य जल्द शुरू हो, जिससे क्षेत्र में विकास की गति तेज़ हो सके।

स्थानीय लोगों की उम्मीदें इस परियोजना से काफी जुड़ी हुई हैं। उन्हें विश्वास है कि बिजली संयंत्र की स्थापना से इस इलाके में आधारभूत संरचना का विस्तार होगा। सड़कें, स्कूल, अस्पताल और परिवहन व्यवस्था में सुधार आने की संभावनाएं बढ़ेंगी। साथ ही, संयंत्र के निर्माण और संचालन से हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। इससे पलायन की समस्या में भी कमी आ सकती है, क्योंकि लोग अब अपने ही क्षेत्र में काम पाने में सक्षम होंगे।

परियोजना से न केवल पिरपैंती बल्कि पूरे भागलपुर और आस-पास के जिलों को लाभ मिलेगा। यह संयंत्र बिहार राज्य की ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगा। वर्तमान में बिहार में बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है, लेकिन उत्पादन में उतनी तेजी नहीं आई है। ऐसे में यह संयंत्र इस अंतर को पाटने में मददगार साबित हो सकता है। उद्योगों, व्यवसायों और घरेलू उपभोक्ताओं को निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम होगा।

सरकार और कोल इंडिया के अधिकारी परियोजना की सफलता के लिए हर स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने स्थानीय समुदाय के साथ संवाद बनाए रखने पर ज़ोर दिया है, ताकि लोगों की चिंताओं का समाधान हो सके और किसी भी प्रकार की बाधा को समय रहते दूर किया जा सके। भूमि अधिग्रहण के बाद निर्माण कार्य शुरू होते ही क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने की उम्मीद है।

अंततः, पिरपैंती का यह ताप विद्युत संयंत्र न केवल ऊर्जा उत्पादन का एक केंद्र बनेगा, बल्कि यह क्षेत्रीय विकास, औद्योगिक विस्तार और सामाजिक प्रगति का भी माध्यम साबित होगा। आने वाले वर्षों में यह परियोजना पूरे बिहार के लिए एक मील का पत्थर बन सकती है, जिसकी नींव आज रखी जा रही है।

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