गया शहर से महज 8 किलोमीटर की दूरी पर बसा नैली गांव, एक ऐसा गांव है जहां इंसानी जिंदगी बदबू के साए में पल रही है। यहां के करीब 1000 लोग बदबूदार हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। स्वच्छ हवा कैसी होती है, ये सवाल अब गांववालों के लिए एक भूली हुई बात बन चुकी है।
इस गांव की पहचान अब “बिहार का धारावी-2” के नाम से होने लगी है। वजह है – गया नगर निगम द्वारा बनाया गया डंपिंग यार्ड, जहां रोजाना 700 टन से ज्यादा कचरा लाकर फेंका जाता है। इस डंपिंग यार्ड ने यहां की फिजा को इस कदर जहरीला बना दिया है कि लोगों की जिंदगी घुट-घुट कर बीत रही है।

स्थानीय निवासी विकास यादव बताते हैं, “हम घुट-घुट कर जीते हैं। सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। बदबूदार हवा से बच्चों और बुजुर्गों की तबीयत आए दिन खराब रहती है। महामारी जैसी स्थिति बन चुकी है।”
नैली गांव की एक और बड़ी चिंता है—शादी-ब्याह। यहां के युवक-युवतियां उम्र पार कर चुके हैं लेकिन अब तक शादी नहीं हो पाई। जब रिश्ते के लिए लड़के या लड़की वाले आते हैं और गांव की दुर्दशा देखते हैं, तो बिना कुछ कहे लौट जाते हैं। कोई भी इस गांव में अपनी बेटी नहीं ब्याहना चाहता।
ग्रामीण बालचंद मांझी बताते हैं, “हमारे घर में चापाकल है लेकिन उसमें से निकलने वाला पानी जहर जैसा है। हमने उसे बोरे से बांध कर रखा है ताकि कोई गलती से पानी न पी ले।”
डंपिंग यार्ड से निकलने वाली बदबू सिर्फ नैली तक सीमित नहीं है। गोपी बीघा, दुबहल और आजाद बीघा जैसे आस-पास के गांव भी प्रभावित हो रहे हैं। बच्चों में संक्रमण फैल रहा है, चर्म रोग, सांस की बीमारियां और दस्त जैसी बीमारियां आम हो गई हैं।
गांव के निवासी रामचंद्र यादव कहते हैं, “जब बाहर के लोग इस इलाके से गुजरते हैं, तो मुंह पर रूमाल रखकर निकलते हैं। तो सोचिए, हम जो यहां रहते हैं, उनकी क्या हालत होगी?”
सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च कर कचरा प्रबंधन प्लांट लगाया, लेकिन यह व्यवस्था भी लोगों को राहत नहीं दिला सकी। दावा किया गया था कि खाद तैयार की जाएगी और बदबू से निजात मिलेगी, लेकिन नतीजा उल्टा निकला।
नगर निगम की जमीन तो काफी थी, लेकिन डंपिंग यार्ड को आबादी से सटे सड़क किनारे बना दिया गया, जिससे लोगों की मुश्किलें और बढ़ गईं।
हालांकि निगम की ओर से दलील दी जाती है कि अब हालात पहले से बेहतर हैं, कूड़े का पहाड़ धीरे-धीरे खत्म हो रहा है और खाद का उत्पादन हो रहा है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी कहती है।
ग्रामीणों की मांग है कि डंपिंग यार्ड को इस इलाके से हटाया जाए और प्लांट को ऐसी जगह ले जाया जाए, जहां आबादी न हो।
नैली के लोग एक बेहतर जिंदगी चाहते हैं, जहां वे खुलकर सांस ले सकें, बीमारियों से दूर रहें और सामाजिक तौर पर भी सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें। वरना जिस तरह से हालात हैं, आने वाले समय में यहां की पूरी पीढ़ी बीमारियों और अकेलेपन में खो जाएगी।
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