भागलपुर, जिसे सिल्क नगरी के नाम से जाना जाता है, अपने खास तरह के रेशमी कपड़ों के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक प्रसिद्ध है। लंबे समय से यहां के बुनकर ट्रंप टैरिफ और विदेशी बाजार में घटती मांग के कारण परेशान थे, लेकिन इस बार मां दुर्गा ने इनकी झोली में खुशियों की सौगात डाली है। दुर्गा पूजा को लेकर भागलपुर के बुनकर क्षेत्र को करीब **5 करोड़ रुपये का बड़ा ऑर्डर** मिला है, जिससे इन बुनकरों के चेहरे पर रौनक लौट आई है।

देशभर से मिला आर्डर

इस बार भागलपुर के बुनकरों को कोलकाता, दिल्ली, मुंबई समेत कई बड़े महानगरों से सिल्क साड़ियों का ऑर्डर मिला है। दुर्गा पूजा पूर्वी भारत का सबसे बड़ा पर्व है और कोलकाता में इसका भव्य आयोजन होता है। इसी को देखते हुए वहां के बाजारों से भारी मात्रा में साड़ियों की डिमांड आई है। खासकर इस बार **मस्राइज साड़ी पर कटवर्क और बाटिक प्रिंट डिजाइनों** का ट्रेंड सबसे अधिक है।

क्या है मस्राइज कटवर्क साड़ी

मस्राइज साड़ियां बेहद हल्की और किफायती होती हैं। इनकी खूबसूरती बढ़ाने के लिए बॉर्डर पर अलग-अलग कटवर्क डिज़ाइन बनाए जाते हैं, जो पहनने में भी आरामदायक और देखने में आकर्षक होती हैं। बुनकर बताते हैं कि मस्राइज साड़ियां अलग-अलग डिजाइनों में तैयार होती हैं और इस पर किया गया कटवर्क इन्हें और भी खास बना देता है। यही कारण है कि इनकी देशभर में खूब मांग है।

बाटिक प्रिंट की खासियत

कोलकाता में दुर्गा पूजा के दौरान सबसे ज्यादा मांग बाटिक प्रिंट साड़ियों की होती है। बाटिक प्रिंट हाथ और मशीन दोनों से बनाई जाती है। हाथ से तैयार प्रिंट में मोम का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे बेहद आकर्षक डिजाइन बनते हैं। इन साड़ियों की कीमत **₹800 से शुरू होकर ₹3000 तक** जाती है। वहीं मस्राइज कटवर्क साड़ी **₹1300 से लेकर ₹4000 तक** उपलब्ध होती है। खासकर दक्षिण भारत और कोलकाता में इनकी भारी डिमांड है।

राहत की खबर

भागलपुर के बुनकर और कारोबारी संजीव कुमार बताते हैं कि जहां विदेशी बाजारों से ऑर्डर पर रोक लगी हुई है, वहीं यह दुर्गा पूजा का ऑर्डर उनके लिए राहत भरा साबित हो रहा है। वर्तमान समय में बुनकर तेजी से इस काम में जुटे हुए हैं और अगले 5 से 7 दिनों के भीतर सारे ऑर्डर को पूरा कर भेजने की तैयारी में हैं।

एक बुनकर के पास 300 से अधिक साड़ियों का ऑर्डर

सूत्रों के अनुसार, इस बार एक-एक बुनकर के पास 300 से अधिक साड़ियों का आर्डर आया है। इससे स्पष्ट है कि इस बार भागलपुर के बुनकरों को न सिर्फ काम मिला है बल्कि अच्छी कमाई भी होगी।


कभी विदेशी बाजारों की मंदी से जूझ रहे बुनकर अब एक बार फिर आशा से भरे हुए हैं। दुर्गा पूजा जैसे बड़े पर्व ने उन्हें राहत की सांस दी है। भागलपुर की पहचान रही सिल्क नगरी इस ऑर्डर के जरिए एक बार फिर रौनक से भर उठी है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में ऐसे ही मौके और मिलें, ताकि बुनकरों का पारंपरिक हुनर और उनके जीवन में खुशियां बनी रहें।

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