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सहरसा जिले में साइबर अपराध के खिलाफ पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। सदर थाना क्षेत्र अंतर्गत स्टेशन के पास स्थित एक होटल से पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो “फर्जी लोन” देने के नाम पर महिलाओं से ठगी करता था। इस गिरोह के चार सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, जो देशभर की महिलाओं को आसान लोन दिलाने का झांसा देकर साइबर ठगी कर रहे थे।

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गिरफ्तार किए गए चारों आरोपी— मिथिलेश कुमार, कन्हैल कुमार, अमन कुमार और प्रवीन कुमार— एक सुनियोजित तरीके से “जानाग्रही माइक्रोफाइन लिमिटेड” नामक एक फर्जी संस्था के बैनर तले अपना ठगी का कारोबार चला रहे थे। पुलिस ने इनकी गिरफ्तारी गुप्त सूचना के आधार पर की। स्टेशन चौक स्थित राजमित्र होटल में ये सभी आरोपी किराए के कमरे में ठहरे हुए थे, जहां से उन्हें रंगे हाथों पकड़ा गया।

पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि कुछ युवक स्टेशन के पास एक होटल में रहकर फर्जी लोन देने की स्कीम चला रहे हैं। सूचना की पुष्टि के बाद पुलिस की टीम ने होटल में छापा मारा। छापेमारी में मिले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और दस्तावेजों से यह स्पष्ट हो गया कि ये युवक एक ठगी गिरोह का हिस्सा हैं, जो महिलाओं को समूह लोन देने के नाम पर ठगी करते थे।

**कैसे करते थे ठगी?**

साइबर डीएसपी अजीत कुमार ने प्रेस वार्ता में बताया कि गिरोह के सदस्य पहले सोशल मीडिया और व्हाट्सएप ग्रुप्स के माध्यम से खुद को माइक्रोफाइनेंस कंपनी का एजेंट बताकर संपर्क करते थे। महिलाओं को समूह बनाकर रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कहा जाता था। फिर उनसे रजिस्ट्रेशन फीस, प्रोसेसिंग फीस और अन्य चार्ज के नाम पर 500 से 5000 रुपये तक ऑनलाइन भुगतान कराया जाता था।

एक बार भुगतान हो जाने के बाद ये आरोपी मोबाइल नंबर और सोशल मीडिया अकाउंट्स को बंद कर फरार हो जाते थे। अब तक यह गिरोह करीब **250 से अधिक महिलाओं** को अपना शिकार बना चुका है। अधिकतर पीड़ित महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों से थीं, जिन्हें लोन की सख्त जरूरत थी।

**क्या-क्या बरामद हुआ?**

पुलिस ने इन आरोपियों के पास से बड़ी मात्रा में साइबर क्राइम से जुड़ी सामग्रियां बरामद की हैं। इनमें

* **5 मोबाइल फोन**,
* **2 लैपटॉप**,
* **4 एटीएम कार्ड**,
* **3 सिम कार्ड**,
* और **2 बैंक पासबुक** शामिल हैं।

यह सामग्री इनके अपराध की पुष्टि करती है और पुलिस अब इनके मोबाइल और लैपटॉप की जांच कर रही है ताकि गिरोह से जुड़े अन्य लोगों की पहचान की जा सके।

**अपराध का पुराना इतिहास भी उजागर**
गिरफ्तार आरोपियों में से एक, **मिथिलेश कुमार**, पर पहले से पटना के चकाई थाना में आपराधिक मामला दर्ज है। इससे स्पष्ट होता है कि यह कोई पहली बार की गई ठगी नहीं थी, बल्कि आरोपी पहले से साइबर अपराध में संलिप्त थे।

**जांच का दायरा बढ़ा**
सहरसा पुलिस ने बताया कि यह मामला केवल जिले तक सीमित नहीं है। यह गिरोह एक व्यापक नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है, जिसकी जड़ें बिहार के बाहर तक फैली हो सकती हैं। पुलिस तकनीकी जांच और बैंक खातों की पड़ताल कर रही है, ताकि फर्जी लोन स्कैम के पूरे नेटवर्क को ध्वस्त किया जा सके।

**डीएसपी की अपील**
साइबर डीएसपी अजीत कुमार ने आम जनता से अपील की है कि वे किसी भी अनजान नंबर या सोशल मीडिया अकाउंट से आए लोन ऑफर पर भरोसा न करें। किसी भी वित्तीय संस्था से संपर्क करने से पहले उसकी वैधता की जांच अवश्य करें। उन्होंने कहा कि पुलिस महिलाओं को साइबर सुरक्षा के बारे में जागरूक करने के लिए विशेष अभियान भी चलाएगी।

**निष्कर्ष:**
सहरसा में हुए इस बड़े साइबर ठगी के भंडाफोड़ ने यह साबित कर दिया है कि अब ठग आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर भोली-भाली जनता को शिकार बना रहे हैं। पुलिस की सक्रियता से इस गिरोह की गिरफ्तारी तो हो गई, लेकिन यह भी जरूरी है कि लोग जागरूक बनें और किसी भी अनधिकृत एजेंसी या व्यक्ति के झांसे में न आएं।

 

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