बिहार की राजधानी पटना में आगामी **6 जुलाई को गांधी मैदान में आयोजित होने वाले ‘सनातन महाकुंभ’** कार्यक्रम को लेकर सस्पेंस गहराता जा रहा है। जिला प्रशासन ने फिलहाल इस धार्मिक आयोजन को अनुमति देने से इनकार कर दिया है। कार्यक्रम में **बागेश्वर धाम सरकार** के नाम से प्रसिद्ध **पंडित धीरेंद्र शास्त्री** की उपस्थिति प्रस्तावित थी। इस आयोजन का नेतृत्व **पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अश्विनी चौबे** कर रहे हैं।

प्रशासन का कहना है कि फिलहाल कार्यक्रम को लेकर जो स्थिति है, वह **भीड़ नियंत्रण** और **विधि-व्यवस्था बनाए रखने** की दृष्टि से चिंताजनक हो सकती है। इस वजह से इसे अनुमति देने से इनकार कर दिया गया है, और यह मामला अब पूरी तरह से प्रशासनिक समीक्षा के अधीन है।
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### प्रशासन की सख्ती: नौबतपुर की घटना से सबक
पटना जिला प्रशासन के अनुसार, **पिछले वर्ष नौबतपुर में आयोजित धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम में अनुमान से कई गुना अधिक भीड़ उमड़ पड़ी थी**, जिससे मौके पर अफरातफरी की स्थिति बन गई थी। स्थानीय प्रशासन को उस कार्यक्रम में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी, और यातायात से लेकर सुरक्षा व्यवस्था तक बुरी तरह प्रभावित हुई थी।
प्रशासन का कहना है कि इस बार आयोजन **राज्य की राजधानी के बीचोबीच** – यानी ऐतिहासिक **गांधी मैदान** में होने वाला है, जहां पहले से ही सीमित यातायात और सुरक्षा चुनौती रहती है। यदि उतनी ही या उससे ज्यादा भीड़ यहां एकत्रित होती है, तो हालात अनियंत्रित हो सकते हैं।
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### कौन-कौन आने वाले थे?
कार्यक्रम को लेकर धार्मिक उत्साह काफी समय से बना हुआ था। आयोजकों ने इसे **‘सनातन महाकुंभ’** नाम दिया था और इसमें **देशभर से अनेक संतों के आगमन की संभावना जताई गई थी।**
प्रमुख संतों में **तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य** का नाम भी प्रमुख रूप से सामने आया था। इसके अतिरिक्त **उत्तर भारत के विभिन्न पीठों और मठों के महंत**, **धार्मिक प्रचारक**, और **सनातन संस्कृति के प्रवक्ता** इस आयोजन में भाग लेने वाले थे।
यह भी दावा किया जा रहा है कि कार्यक्रम के माध्यम से **धार्मिक और सामाजिक एकता का संदेश** देने की योजना थी।
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### प्रशासन का अगला कदम: विशेष समिति गठित करने की तैयारी
हालांकि कार्यक्रम को तत्काल प्रभाव से अनुमति नहीं दी गई है, लेकिन प्रशासन ने इसे पूरी तरह से खारिज भी नहीं किया है। मिली जानकारी के अनुसार, **प्रशासन एक विशेष समिति गठित करने पर विचार कर रहा है**, जो निम्न बिंदुओं पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी:
1. **संभावित भीड़ का आंकलन** – आयोजन में अनुमानित लोगों की संख्या और उनकी आवाजाही के मार्गों का आकलन किया जाएगा।
2. **विधि-व्यवस्था पर प्रभाव की समीक्षा** – यह देखा जाएगा कि इस भीड़ के कारण पटना में सामान्य जीवन और कानून-व्यवस्था पर क्या असर पड़ सकता है।
3. **सुरक्षा व्यवस्था की व्यवहार्यता** – क्या प्रशासनिक एजेंसियां इतनी भीड़ को संभालने में सक्षम हैं? क्या पर्याप्त सुरक्षा बल और संसाधन मौजूद हैं?
यह समिति **जल्द ही अपनी रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपेगी**, जिसके बाद कार्यक्रम को लेकर अंतिम निर्णय लिया जाएगा कि इसे अनुमति दी जाए या नहीं।
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### आयोजकों की प्रतिक्रिया: धार्मिक भावना को चोट न पहुंचाई जाए
कार्यक्रम के आयोजक और भाजपा नेता **अश्विनी चौबे** ने प्रशासन के निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,
> **”यह कार्यक्रम पूरी तरह धार्मिक और सामाजिक सद्भाव बढ़ाने वाला है। हमारा उद्देश्य सनातन संस्कृति और भारतीय परंपराओं को जन-जन तक पहुंचाना है। हम प्रशासन से अपील करते हैं कि वह उचित सुरक्षा व्यवस्था के साथ इस आयोजन की अनुमति दे।”**
उन्होंने यह भी कहा कि गांधी मैदान जैसे ऐतिहासिक स्थल पर ऐसा धार्मिक आयोजन होना **राज्य की संस्कृति और गरिमा का प्रतीक** होगा। उन्होंने भरोसा जताया कि सरकार और प्रशासन इस आयोजन को धर्मनिरपेक्षता के चश्मे से न देखे, बल्कि **आस्था और व्यवस्था के संतुलन** के साथ निर्णय ले।
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### जनता में मिली-जुली प्रतिक्रिया
इस पूरे मामले पर आम जनता में भी **मिली-जुली प्रतिक्रिया** देखने को मिल रही है।
कुछ लोगों का मानना है कि ऐसे धार्मिक आयोजनों से **राजधानी में अव्यवस्था** फैल सकती है, जबकि अन्य इसे **धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक चेतना का मामला** मान रहे हैं।
गांधी मैदान के आसपास के दुकानदारों और स्थानीय निवासियों को डर है कि यदि भीड़ बेकाबू हो गई तो **व्यवसाय और यातायात पूरी तरह ठप हो सकता है**। वहीं, भक्तों और आयोजन समर्थकों का कहना है कि यदि सरकार चुनावी रैलियों और राजनीतिक कार्यक्रमों की अनुमति दे सकती है, तो **धार्मिक आयोजनों पर रोक क्यों?**
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### निष्कर्ष: अनुमति पर बना है असमंजस
फिलहाल ‘सनातन महाकुंभ’ को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। **आयोजन की तारीख नजदीक है** और प्रशासन की अनुमति अब भी लंबित है। आने वाले दिनों में गठित समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही यह तय होगा कि बाबा बागेश्वर धाम का यह बहुचर्चित कार्यक्रम **पटना के गांधी मैदान में होगा या नहीं**।
यह मामला **धर्म, प्रशासन और राजनीति के त्रिकोण** में उलझा हुआ प्रतीत हो रहा है, जहां हर पक्ष अपनी-अपनी स्थिति को जायज ठहराने की कोशिश में लगा है।
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📌 **मुख्य तथ्य एक नजर में:**
* **कार्यक्रम**: सनातन महाकुंभ
* **स्थान**: गांधी मैदान, पटना
* **तारीख**: 6 जुलाई 2025
* **प्रस्तावित अतिथि**: पं. धीरेंद्र शास्त्री
* **आयोजक**: पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे
* **स्थिति**: प्रशासन की अनुमति लंबित
* **रोक का कारण**: भीड़ नियंत्रण और विधि-व्यवस्था की चिंता
* **फैसले की उम्मीद**: समिति की रिपोर्ट के बाद
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