आज हम आपको एक ऐसे वीडियो के बारे में बताने जा रहे हैं जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है और लाखों लोगों की आंखें नम कर चुका है। इस वीडियो में कोई डायलॉग नहीं, कोई नाटकीयता नहीं, लेकिन फिर भी यह सीधे दिल को छू जाता है। वीडियो में एक शख्स अपने छोटे बेटे के साथ सड़क किनारे बैठा दिखता है। उसके चेहरे पर साफ निराशा और बेचैनी झलकती है। वह यूं बैठा है जैसे किसी का इंतजार कर रहा हो।

कुछ देर बाद, वह व्यक्ति सड़क पर फेंकी गई सब्जियों को उठाने लगता है। ये वही सब्जियां हैं जिन्हें कुछ समय पहले एक सब्जीवाला ठेला लेकर यहां से गया और खराब समझकर छोड़ गया था। व्यक्ति बहुत सावधानी से उन सब्जियों को उठाता है, उनमें से सही-सलामत टुकड़े चुनता है और बोरी में भरकर अपनी साइकिल पर लाद देता है। उसके साथ उसका मासूम बच्चा भी खड़ा है, शायद वह भी जानता है कि ये सब्जियां आज उनके खाने का सहारा बनने वाली हैं।
यह वीडियो न सिर्फ इस शख्स की गरीबी और संघर्ष को दिखाता है, बल्कि यह एक गहरा सामाजिक संदेश भी देता है। हम सभी ने बचपन में यह बात जरूर सुनी होगी — “जितना है, उसमें खुश रहो”, लेकिन इस वीडियो को देखकर यह बात और भी गहराई से समझ आती है। जो चीजें हमें बेकार लगती हैं, वे किसी और के लिए किसी खजाने से कम नहीं होतीं।
सोशल मीडिया पर इस वीडियो को इंस्टाग्राम के पेज @frames_n_fork द्वारा शेयर किया गया है और इसे अब तक 4 मिलियन से ज्यादा बार देखा जा चुका है। वीडियो पर ढेरों इमोशनल कमेंट्स आ चुके हैं। एक यूजर ने लिखा, “उस बच्चे की आंखों में भूख नहीं, अपने पिता के साथ होने का गर्व दिखता है।” वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा, “ये वीडियो देखकर लगा कि हम कितने सौभाग्यशाली हैं जो बिना संघर्ष के रोज़ खाना खा लेते हैं।”
एक और यूजर ने लिखा, “हम जिन चीजों को कचरा समझ कर फेंक देते हैं, वही किसी और के लिए जीवन का सहारा होती हैं। हमें अपनी सुविधाओं के लिए नहीं, बल्कि दूसरों की तकलीफों को देखकर भी शुक्रगुजार होना चाहिए।”

यह वीडियो एक सच्चाई को उजागर करता है — हमारे आसपास कई जिंदगियां ऐसी हैं जो रोज़ जीने के लिए संघर्ष कर रही हैं। जब हम एसी रूम में बैठकर ठंडा पानी पीते हैं या खाना बर्बाद करते हैं, तब शायद हमें एहसास नहीं होता कि कई लोग उन छोड़ी गई चीजों से भी अपनी भूख मिटाते हैं।
निष्कर्ष रूप में, यह वीडियो सिर्फ एक दृश्य नहीं है, यह एक आईना है जो हमें हमारी सामाजिक ज़िम्मेदारी और संवेदनशीलता का बोध कराता है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि अगर हम थोड़ी सी भी मदद करें, तो किसी की जिंदगी में बड़ा फर्क ला सकते हैं। इसलिए, आगे बढ़िए, देखिए, समझिए और अगर हो सके तो किसी की मदद कीजिए — क्योंकि किसी की फेंकी हुई चीजें, किसी की ज़रूरत बन सकती हैं।
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