बिहार में शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों की बदहाल स्थिति को लेकर फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पेफी) ने मुख्यमंत्री से आवश्यक संज्ञान लेने की मांग की है। संगठन का कहना है कि आज भी राज्य में शारीरिक शिक्षकों को केवल ₹8000 प्रतिमाह के अल्प वेतन पर रखा गया है, जबकि उनसे पूर्णकालिक शिक्षकों की तरह सभी कार्य लिए जा रहे हैं। यह न केवल शिक्षा नीति के खिलाफ है, बल्कि मानव अधिकारों का भी उल्लंघन है।
दुख की बात यह है कि देश में आज तक शारीरिक शिक्षकों को उनका वाजिब सम्मान और दर्जा नहीं मिल सका है। सरकारें अंतरराष्ट्रीय खेलों में पदक तो चाहती हैं, परंतु जमीनी स्तर पर न तो खेल ढांचे को मजबूत किया जा रहा है और न ही शिक्षकों को स्थायित्व दिया जा रहा है।

पेफी की स्पष्ट मांग है कि यदि भारत को खेल महाशक्ति बनाना है, तो सबसे पहले शारीरिक शिक्षकों को पूर्णकालिक शिक्षक का दर्जा दिया जाए और उचित वेतनमान व स्थायित्व प्रदान किया जाए।
यह केवल बिहार की नहीं, बल्कि देशभर के हजारों शारीरिक शिक्षकों की पीड़ा है।
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