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पटना। बिहार में लंबे समय से शिक्षकों के तबादले को लेकर उठ रही शिकायतों और अव्यवस्थाओं को दूर करने की दिशा में शिक्षा विभाग ने एक बड़ा और अहम फैसला लिया है। अब राज्य के सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षक आपसी सहमति के आधार पर अपनी पसंद के स्कूलों में खुद तबादला करा सकेंगे। इसके लिए एक निर्धारित प्रक्रिया तय की गई है, जिसके तहत शिक्षक अपने स्थानांतरण की अर्जी देंगे और विद्यालय प्रमुख की सहमति मिलने पर उनका स्थानांतरण संभव होगा।

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नई व्यवस्था का उद्देश्य

इस नई व्यवस्था का मकसद सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की असमानता, मनमाने तबादले और शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार लाना है। कई स्कूलों में शिक्षकों की संख्या जरूरत से अधिक है, वहीं कई स्कूलों में शिक्षक नहीं के बराबर हैं। इसके चलते छात्रों की पढ़ाई पर प्रभाव पड़ रहा था। अब शिक्षकों को अपनी जरूरत और सुविधा के अनुसार विद्यालय बदलने की आज़ादी मिलेगी, जिससे शिक्षण कार्य में गुणवत्ता बढ़ेगी।


📋 स्थानांतरण की नई प्रक्रिया: कैसे होगा तबादला?

शिक्षकों के आपसी सहमति से तबादले की यह प्रक्रिया 3 से 10 जुलाई तक चलेगी। इसमें शिक्षक विभाग के निर्धारित पोर्टल पर लॉगइन करके तबादले के लिए आवेदन कर सकेंगे। नीचे इस प्रक्रिया को बिंदुवार समझाया गया है:

  1. सहमति आवश्यक:
    तबादला केवल तभी संभव होगा जब दोनों संबंधित शिक्षक आपसी सहमति से स्थानांतरण के लिए आवेदन करेंगे।
  2. विद्यालय प्रमुख की सहमति:
    दोनों विद्यालयों के प्रधानाचार्य या प्रधानाध्यापक को इस स्थानांतरण पर सहमति देनी होगी।
  3. प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी की स्वीकृति:
    अंतिम स्वीकृति संबंधित प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी द्वारा दी जाएगी।
  4. पोर्टल पर आवेदन:
    स्थानांतरण के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल बनाया गया है, जिस पर शिक्षक लॉगइन करके आवेदन कर सकते हैं।
  5. 10 जुलाई तक आवेदन:
    आवेदन की अंतिम तिथि 10 जुलाई निर्धारित की गई है। उसके बाद कोई अर्जी स्वीकार नहीं की जाएगी।
  6. स्थानांतरण की अधिकतम सीमा:
    एक बार में अधिकतम 10 शिक्षकों का आपसी सहमति से तबादला किसी भी प्रखंड में किया जा सकता है।

क्यों ज़रूरी थी यह पहल?

  • स्कूलों में असंतुलन:
    कई स्कूलों में शिक्षक संख्या जरूरत से अधिक थी, वहीं कई स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी थी।
  • मनोबल पर असर:
    स्थानांतरण न होने से शिक्षक असंतुष्ट रहते थे, जिससे उनका मनोबल गिरता था और पढ़ाई पर असर पड़ता था।
  • आवेदन की बाढ़:
    हर साल हजारों शिक्षकों के तबादले की मांग आती थी, जिससे प्रशासन पर भी दबाव रहता था।
  • निजी कारणों से परेशानी:
    कई शिक्षक पारिवारिक कारणों, बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य आदि कारणों से तबादला चाहते थे लेकिन व्यवस्था न होने के कारण वे परेशान रहते थे।

📝 ऐसी होगी स्थानांतरण की प्रक्रिया

  1. शिक्षक विभागीय पोर्टल पर लॉगइन करेंगे।
  2. अपना विद्यालय और इच्छित विद्यालय का चयन करेंगे।
  3. इच्छित स्थानांतरण के लिए दूसरे शिक्षक से सहमति प्राप्त करेंगे।
  4. विद्यालय प्रमुख ऑनलाइन फॉर्म पर अपनी स्वीकृति देंगे।
  5. अंतिम स्वीकृति बीईओ द्वारा की जाएगी।
  6. स्थानांतरण आदेश ऑनलाइन जारी किया जाएगा।

30 जून तक बनाएं ID और पासवर्ड

शिक्षकों को 30 जून तक अपने विभागीय पोर्टल पर ID और पासवर्ड बनाना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके बिना वे स्थानांतरण की प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकेंगे। शिक्षा विभाग ने निर्देश जारी किया है कि सभी शिक्षक निर्धारित समय में पोर्टल पर लॉगइन कर अपने विवरण अपडेट करें।


विशेष बातें

  • तबादला केवल उन्हीं विद्यालयों के बीच होगा जहां एक ही विषय और एक ही पद पर शिक्षक कार्यरत हों।
  • स्थानांतरण का कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा।
  • यह व्यवस्था केवल आपसी सहमति पर आधारित है, किसी पर जबरन नहीं लागू होगी।
  • महिला शिक्षकों को पारिवारिक आधार पर प्राथमिकता दी जाएगी।

शिक्षा विभाग की ओर से अपील

शिक्षा विभाग ने सभी शिक्षकों से अपील की है कि वे इस नई व्यवस्था का लाभ उठाएं और अनुशासनपूर्वक प्रक्रिया में भाग लें। विभाग का उद्देश्य शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ और पारदर्शी बनाना है। शिक्षक अपने स्थानांतरण की प्रक्रिया को लेकर कोई भी भ्रांति न रखें, सभी नियमों और शर्तों को ध्यानपूर्वक पढ़ें।


निष्कर्ष

बिहार सरकार का यह कदम राज्य की शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। अब शिक्षक अपनी सुविधा, पारिवारिक स्थिति और सहूलियत के अनुसार अपनी पसंद के स्कूल में स्थानांतरण करा सकेंगे। इससे न केवल शिक्षकों को लाभ होगा, बल्कि विद्यार्थियों को भी बेहतर शिक्षण व्यवस्था का लाभ मिलेगा।

यह योजना यदि सफल रही तो यह देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक आदर्श मॉडल बन सकती है।

 

 

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