सहरसा के ऐतिहासिक विनोबा आश्रम में मंगलवार को पूर्व सांसद आनंद मोहन ने 1975 के आपातकाल की 50वीं बरसी पर आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार साझा किए। उन्होंने इसे भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का “सबसे काला अध्याय” करार देते हुए कहा कि 25 जून 1975 की रात न केवल संविधान की आत्मा पर हमला हुआ, बल्कि पूरे देश को एक खुली जेल में तब्दील कर दिया गया।
पूर्व सांसद आनंद मोहन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को ‘आयरन लेडी’ कहते हुए कहा कि उन्होंने देश को दिशा देने में योगदान जरूर दिया, लेकिन लोकतंत्र के साथ बड़ा खिलवाड़ भी किया। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा उनके निर्वाचन को अमान्य ठहराए जाने के बाद वे इतने भयभीत हुईं कि लोकतंत्र को ही स्थगित कर दिया। जेपी यानी लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में उठे ‘संपूर्ण क्रांति आंदोलन’ से सत्ता में बैठी सरकार डर गई थी, और इसी डर ने आपातकाल थोपने का रास्ता खोला।
आनंद मोहन ने बताया कि किस तरह उस दौर में देशभर में लाखों लोग जेलों में ठूंस दिए गए, विपक्षी नेताओं को कैद कर लिया गया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता छीन ली गई। लोकसभा का कार्यकाल पांच से बढ़ाकर छह साल कर दिया गया, मीडिया पर सेंसरशिप लगा दी गई और आम जनता भय के वातावरण में जीने को मजबूर हो गई। लेकिन जब 1977 में चुनाव हुए, तो उत्तर भारत से कांग्रेस का सफाया हो गया और लोकतंत्र की जीत हुई। जनता पार्टी की सरकार बनी, जिसने साबित कर दिया कि भारत की लोकतांत्रिक जड़ें कितनी मजबूत हैं।
उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि आज की पीढ़ी आपातकाल के उस दौर को जाने, समझे और उससे सबक ले। उन्होंने अफसोस जताया कि जेपी आंदोलन में भाग लेने वाले हजारों सेनानियों को आज भी न तो सरकार से कोई पेंशन मिलती है और न ही कोई सरकारी मान्यता या सम्मान। उन्होंने सरकार से मांग की कि बचे हुए जेपी सेनानियों को सम्मानित किया जाए, उन्हें प्रशस्ति पत्र और मासिक पेंशन दी जाए, ताकि उनका संघर्ष व्यर्थ न जाए।
कार्यक्रम के अंत में आनंद मोहन ने विनोबा आश्रम की जर्जर स्थिति पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि यह स्थान कभी जेपी आंदोलन की गतिविधियों का केंद्र हुआ करता था, जहां से कोसी क्षेत्र की राजनीति को नई दिशा मिलती थी। आज इसकी उपेक्षा देखकर मन व्यथित होता है। उन्होंने सरकार से आश्रम के जीर्णोद्धार की मांग करते हुए कहा कि यह सिर्फ एक भवन नहीं, बल्कि लोकतंत्र के संघर्ष की एक जीवित विरासत है।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता और जेपी सेनानी मौजूद रहे।
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