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गया (बिहार):
सरकार जहाँ एक ओर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शिक्षा और रोजगार के नए अवसर देने में जुटी है, वहीं समाज के कुछ हिस्सों में आज भी महिलाएं अपनी पहचान और अधिकार के लिए घर की चौखट पर ही संघर्ष कर रही हैं। ऐसा ही एक हैरान कर देने वाला मामला बिहार के गया जिले से सामने आया है, जहाँ एक शिक्षित बहू को उसके अपने ससुरालवालों ने सिर्फ इसलिए घर से निकाल दिया क्योंकि वह प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होना चाहती थी।

यह घटना गया जिले के कोतवाली थाना क्षेत्र की है, जहाँ रहने वाली आशिया खातून को राजस्थान सचिवालय की परीक्षा देनी थी, लेकिन उसके इस फैसले से ससुराल वाले इतने नाराज़ हो गए कि उन्होंने बहू को घर से ही निकाल दिया। आश्चर्य की बात यह रही कि उसे सिर्फ एक जोड़ी कपड़े में घर से बाहर निकाल दिया गया और उसके शैक्षणिक प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, दवाइयां और अन्य जरूरी सामान तक नहीं लौटाए गए।

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परीक्षा देने की इच्छा बनी सजा का कारण

आशिया खातून एक पढ़ी-लिखी महिला हैं, जो आने वाले महीने में राजस्थान सचिवालय की अहम परीक्षा देने वाली हैं। उनके इस कदम से उनके ससुराल वाले इतने असहज हो गए कि उन्होंने न सिर्फ मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, बल्कि सारे ज़रूरी कागज़ात और वस्तुएं भी अपने पास रख लीं। उसे सिर्फ एक जोड़ी कपड़े देकर घर से बाहर कर दिया गया।

गली में रोती मिली पीड़िता, लोगों ने दी सूचना

जब आशिया को ससुराल के बाहर रोते हुए देखा गया, तो स्थानीय लोगों ने तुरंत इस मामले की सूचना गया जिला प्रशासन और कोतवाली थाना को दी। मामला जब जिला पदाधिकारी के संज्ञान में आया, तब उन्होंने वन स्टॉप सेंटर को तत्काल कार्रवाई का निर्देश दिया।

वन स्टॉप सेंटर की त्वरित कार्रवाई

वन स्टॉप सेंटर गया की प्रशासक आरती कुमारी ने तत्परता दिखाते हुए इस मामले में त्वरित कार्रवाई की। आशिया को तत्काल राहत दी गई और उसे जरूरी मदद प्रदान की गई। इस अभियान में केस वर्कर अर्चना सिंह, काउंसलर शगुफ्ता परवीन, सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रमणि संगीता भी शामिल रहीं।

टीम आशिया को उसके ससुराल लेकर गई और पति की उपस्थिति में उसके शैक्षणिक प्रमाण पत्र, कपड़े, आधार कार्ड, दवाइयां और अन्य जरूरी सामान दिलवाए गए। इसके बाद आशिया को सुरक्षित रूप से उसके मायके भेज दिया गया।

पीड़िता ने सुनाई आपबीती

मीडिया से बात करते हुए आशिया ने कहा,

“मुझे ससुराल से मात्र एक जोड़ी कपड़े में निकाल दिया गया। मेरे पास दवाइयां, पहचान पत्र, शैक्षणिक सर्टिफिकेट, डॉक्टर की पर्ची जैसी जरूरी चीजें नहीं थीं। मैं बहुत ही परेशान और हताश हो चुकी थी।”

वन स्टॉप सेंटर कराएगा काउंसलिंग

वन स्टॉप सेंटर की प्रभारी अधिकारी आरती कुमारी ने बताया कि आशिया के साथ उत्पीड़न हुआ है, जिसे गंभीरता से लिया गया है। उन्होंने कहा,

“हमारी टीम ने आशिया को तत्काल राहत दिलाई। अब हम इस पूरे मामले की काउंसलिंग करेंगे ताकि दोनों परिवारों के बीच आपसी समझ बनाई जा सके और महिला को न्याय मिल सके।”

आरती कुमारी ने यह भी बताया कि आशिया आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बढ़ रही थीं, और प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल होने का प्रयास कर रही थीं। ऐसे में उसका यह संघर्ष समाज के लिए एक आईना है कि महिलाएं जब कुछ अच्छा करना चाहती हैं, तो उन्हें कई बार अपने ही घर में विरोध का सामना करना पड़ता है।

समाज के लिए एक सवाल

यह घटना न सिर्फ एक महिला की व्यक्तिगत पीड़ा को उजागर करती है, बल्कि हमारे समाज की मानसिकता पर भी सवाल उठाती है। आज जब महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, तब भी उन्हें पढ़ाई या नौकरी के लिए घर से निकाल देना, उनके अधिकारों पर सीधा हमला है।

आशिया का संघर्ष हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या केवल बेटियों को शिक्षित कर देना ही काफी है? या फिर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए समाज और परिवार को भी शिक्षित करने की आवश्यकता है?


निष्कर्ष रूप में, गया की यह घटना सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि एक महिला की हिम्मत, संघर्ष और आत्मसम्मान की कहानी है। ऐसे में सरकार, प्रशासन और समाज तीनों की ज़िम्मेदारी बनती है कि महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए एकजुट होकर खड़े हों और ऐसे मामलों में तत्काल न्याय सुनिश्चित करें। आशिया जैसे उदाहरण देश की उन लाखों महिलाओं की आवाज़ हैं, जो आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं, पर उनके रास्ते में पहले दीवारें उनके ही घर से खड़ी की जाती हैं।

 

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By admin

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