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बिहार की राजधानी पटना के व्यस्ततम मार्गों में से एक अशोक राजपथ अब जाम की समस्या से राहत की ओर बढ़ रहा है। यह संभव हुआ है पटना के पहले डबल डेकर फ्लाईओवर के निर्माण से, जो 11 जून से आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा। यह आधुनिक संरचना न केवल राजधानी की यातायात व्यवस्था को सुव्यवस्थित करेगी, बल्कि शहर की प्रगति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी मानी जा रही है।

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डबल डेकर पुल की विशेषताएं

पटना का यह पहला डबल डेकर पुल कारगिल चौक से साइंस कॉलेज तक बनाया गया है। इसकी कुल लंबाई 2.2 किलोमीटर है, जबकि कैरिजवे की चौड़ाई 8.5 मीटर रखी गई है। यह पुल दो स्तरों में विभाजित है—पहला तल 1.5 किमी लंबा है, जो पटना कॉलेज से बीएन कॉलेज तक फैला है, और दूसरा तल 2.2 किमी लंबा है, जो कारगिल चौक से साइंस कॉलेज तक बनाया गया है।

इस फ्लाईओवर का निर्माण अत्यंत रणनीतिक ढंग से किया गया है। ऊपरी तल से वाहन गांधी मैदान से साइंस कॉलेज की ओर जाएंगे, जबकि निचला तल पटना कॉलेज से गांधी मैदान की ओर आने वाले वाहनों के लिए आरक्षित होगा। इससे यातायात को एक दिशा में व्यवस्थित रूप से प्रवाहित करने में मदद मिलेगी।

निर्माण की लागत और तकनीकी पहलू

इस आधुनिक पुल का निर्माण कार्य 422 करोड़ रुपये की लागत से संपन्न हुआ है। पुल के पहले तल पर दो संपर्क पथ, जबकि दूसरे तल पर तीन संपर्क पथ बनाए जाने हैं, जिससे यातायात को विभिन्न दिशाओं में नियंत्रित रूप से मोड़ा जा सकेगा।

इसके अतिरिक्त, साइंस कॉलेज के पास मेट्रो स्टेशन (विवि स्टेशन) के लिए लिफ्ट पीट का निर्माण भी किया जा रहा है। यह पहल भविष्य में पटना मेट्रो को इस पुल से जोड़ने के लिए की जा रही है, जिससे यह पुल बहुआयामी परिवहन केंद्र के रूप में विकसित हो सकेगा।

जनसुविधा और असर

इस डबल डेकर पुल के चालू हो जाने से अशोक राजपथ, पीएमसीएच, पटना विश्वविद्यालय, साइंस कॉलेज और आसपास के क्षेत्रों में यातायात का दबाव काफी हद तक कम हो जाएगा। इससे न केवल आम नागरिकों को राहत मिलेगी, बल्कि छात्रों, मरीजों, व्यवसायियों और यात्रियों के लिए यह पुल एक बड़ी सुविधा सिद्ध होगा। खासकर पीएमसीएच में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को और विश्वविद्यालय के छात्रों को भारी जाम से राहत मिलेगी।

यह पुल न केवल यातायात व्यवस्था को आसान बनाएगा, बल्कि पर्यावरण प्रदूषण को भी कम करने में मददगार होगा, क्योंकि जाम की स्थिति में वाहनों से निकलने वाले धुएं की मात्रा कम होगी।

भविष्य की दृष्टि: छपरा में भी निर्माण जारी

पटना में डबल डेकर पुल के सफल निर्माण और शुरू होने के बाद अब बिहार सरकार ने छपरा में भी डबल डेकर पुल का निर्माण शुरू किया है। यह इस बात का संकेत है कि राज्य सरकार बुनियादी ढांचे के विकास को लेकर गंभीर है और छोटे-बड़े शहरों को आधुनिक सुविधाओं से जोड़ना चाहती है।

निष्कर्ष

पटना का यह डबल डेकर पुल न केवल एक इंफ्रास्ट्रक्चरल माइलस्टोन है, बल्कि यह राजधानी की आधुनिकता और विकास की ओर बढ़ते कदमों का भी प्रतीक है। यह पुल आने वाले समय में पटना की पहचान बन सकता है, ठीक वैसे ही जैसे मरीन ड्राइव मुंबई की या हावड़ा ब्रिज कोलकाता की पहचान बन चुके हैं। यातायात की दृष्टि से यह पहल आने वाले वर्षों में शहर को नई दिशा देगी और नागरिकों को एक बेहतर जीवनशैली प्रदान करेगी।

11 जून को जब इस पुल पर पहली बार वाहन दौड़ेंगे, तो यह न सिर्फ तकनीकी उन्नति का उत्सव होगा, बल्कि पटना के विकास की नई कहानी की शुरुआत भी होगी।

 

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