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कहते हैं कि अगर मेहनत सच्चे दिल से की जाए तो किस्मत भी साथ देती है। इस बात को बिहार के दरभंगा जिले के एक छोटे से गांव सुरहापट्टी के रहने वाले प्रिंस राज ने सच कर दिखाया है। कठिन आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद प्रिंस ने नीट (NEET-UG) 2025 की परीक्षा में ऑल इंडिया में 390वीं रैंक हासिल कर न सिर्फ अपने परिवार, बल्कि पूरे मिथिलांचल को गौरवान्वित किया है।

प्रिंस राज के पिता प्रकाश कुमार एक कंपाउंडर हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा प्रदान करते हैं। उनकी आमदनी सीमित है, लेकिन सपने बहुत बड़े थे। उन्होंने कभी अपने बेटे की पढ़ाई में बाधा नहीं बनने दी। यही कारण है कि आज उनका बेटा मेडिकल की सबसे कठिन मानी जाने वाली परीक्षा में देशभर के लाखों छात्रों में से टॉप रैंकर्स में शामिल हो गया है।

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कठिन डगर लेकिन मजबूत इरादे

प्रिंस ने बताया कि उसकी सफलता की राह आसान नहीं थी। गांव में संसाधनों की कमी, आर्थिक तंगी और पढ़ाई का दबाव—ये सब चुनौती बनकर सामने आए। लेकिन प्रिंस ने हार नहीं मानी। उसने ओमेगा स्टडी सेंटर में रहकर कठिन परिश्रम किया। वह बताता है, “मेरी इस सफलता के पीछे मम्मी-पापा की दुआ और ओमेगा संस्थान के शिक्षकों का मार्गदर्शन है। जब मुश्किलें आईं तो सुमित सर ने मेरा हौसला बढ़ाया और आर्थिक रूप से भी सहयोग किया।”

पिता की आंखों में खुशी के आंसू

प्रिंस के पिता प्रकाश कुमार बताते हैं कि वह शुरू से ही चाहते थे कि उनका बेटा डॉक्टर बने। उन्होंने कहा, “हमारे पास धन नहीं था लेकिन सपना बड़ा था। बेटे ने जो मुकाम आज हासिल किया है, उससे मेरी जिंदगी की सारी तपस्या सफल हो गई है। जब रिजल्ट आया तो मेरी आंखों से आंसू निकल आए। यह आंसू खुशी के थे, गर्व के थे।”

संस्थान का अहम योगदान

ओमेगा स्टडी सेंटर के मेंटोर सुमित चौबे ने बताया कि प्रिंस शुरू से ही मेहनती और अनुशासित छात्र था। “हमने बस उसकी प्रतिभा को सही दिशा देने का काम किया। प्रिंस ने दिन-रात एक कर मेहनत की और अपनी मेहनत का फल आज पा लिया। आगे भी संस्थान की ओर से हर संभव मदद दी जाएगी ताकि वह एक अच्छा डॉक्टर बन सके।”

NEET 2025 का आंकलन

NEET UG 2025 परीक्षा 4 मई को देशभर में एक शिफ्ट में आयोजित की गई थी। इस साल रिकॉर्ड 22.7 लाख छात्रों ने परीक्षा दी, जिसमें से 12.36 लाख ने क्वालीफाई किया है। मेडिकल कोर्स के लिए पूरे देश में 1,18,190 सीटें उपलब्ध हैं, जिनमें एमबीबीएस, बीडीएस और आयुष कोर्स शामिल हैं।

परीक्षा परिणामों में इस बार राजस्थान के छात्रों का दबदबा देखने को मिला है। टॉप टेन में 3 छात्र कोटा से हैं, जो मेडिकल कोचिंग के लिए प्रसिद्ध है। हालांकि कुछ छात्रों की याचिका अदालत में लंबित होने के कारण उनका परिणाम फिलहाल घोषित नहीं हुआ है। मध्य प्रदेश के 75 छात्रों को छोड़ शेष सभी का परिणाम जारी कर दिया गया है।

बिहार में मेडिकल कॉलेज के लिए अनुमानित रैंक

बिहार के टॉप मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए रैंक की स्थिति इस प्रकार मानी जा रही है:

  • एम्स पटना: रैंक 1 से 2000 तक
  • पीएमसीएच, पटना: रैंक 2000 से 5000 तक
  • वीआईएमएस, पावापुरी: रैंक 5000 से 8000 तक
  • आईजीआईएमएस, पटना: रैंक 8000 से 15000 तक
  • एनएमसीएच, पटना: रैंक 15000 से 20000 तक

प्रिंस राज की 390वीं रैंक होने के कारण उसका चयन बिहार के किसी भी टॉप मेडिकल कॉलेज में निश्चित माना जा रहा है, यहां तक कि एम्स पटना में भी उसका एडमिशन हो सकता है।

गांव में जश्न का माहौल

जैसे ही प्रिंस की सफलता की खबर गांव में फैली, लोगों की भीड़ उसके घर पर जुट गई। गांववालों ने माला पहनाकर, मिठाई खिलाकर और ढोल-नगाड़ों के साथ प्रिंस का स्वागत किया। गांव के बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक ने प्रिंस की तारीफ की और उसे आने वाले समय के लिए शुभकामनाएं दीं।

प्रेरणा है प्रिंस की कहानी

प्रिंस राज की कहानी उन तमाम युवाओं के लिए प्रेरणा है जो आर्थिक तंगी के चलते अपने सपनों को अधूरा छोड़ देते हैं। उसने यह साबित किया कि अगर इरादे मजबूत हों और मेहनत सच्चे दिल से की जाए, तो कोई भी मंजिल नामुमकिन नहीं।

उसने न केवल अपने माता-पिता का सपना साकार किया है, बल्कि पूरे समाज को यह संदेश भी दिया है कि सपनों को साकार करने के लिए हालात नहीं, हौसले चाहिए।

प्रिंस अब एक नए सफर की शुरुआत करने जा रहा है—डॉक्टर बनने की दिशा में। उम्मीद है कि वह न केवल एक कुशल चिकित्सक बनेगा, बल्कि दूसरों को भी इसी तरह संघर्ष से सफलता तक पहुंचने के लिए प्रेरित करेगा।

 

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