भागलपुर/सुलतानगंज। सावन में बाबा धाम का जलाभिषेक करने के लिए कांवर लेकर निकलने वाले श्रद्धालु कांवरिया मार्ग पर इन दिनों न सिर्फ भारी भीड़ और जाम से जूझ रहे हैं, बल्कि आवारा घूम रहे जानवरों और खासकर ‘भैरो बम’ यानी कुत्तों से भी काफी परेशान हैं।
कांवरिया जब गंगा घाट से जल भरकर बाबा बैद्यनाथधाम के लिए रवाना होते हैं, तो पूरे रास्ते ‘बोल बम’ के जयकारों के साथ चलते हैं। परंतु कांवरिया मार्ग में दिन और रात दोनों समय घूमने वाले कुत्ते, केसरिया वस्त्र में लिपटे कांवरियों को देख कर उनके पीछे दौड़ने लगते हैं। कई बार कुत्ते कांवरियों से सटने की कोशिश करते हैं, जिससे कांवरियों में भय का माहौल बन जाता है। कांवरिए खुद को कुत्तों से बचाने के लिए इधर-उधर भागते नजर आते हैं।
जल अपवित्र होने की आशंका से कांवरियों में चिंता
कांवर यात्रा में ऐसी मान्यता है कि यदि कांवर में रखा गंगाजल किसी कुत्ते या अन्य जानवर के स्पर्श में आ जाए, तो वह जल अपवित्र हो जाता है और कांवरिया को दोबारा जल भरने की आवश्यकता पड़ जाती है। ऐसे में कांवर यात्रा कर रहे छत्तीसगढ़ के कांवरिया रमन गुप्ता ने कहा कि कांवरिया मार्ग पर कांवर यात्रा पहले से ही कठिन होती है। ऊपर से कुत्तों की समस्या से कांवरियों की परेशानी बढ़ जाती है।
उन्होंने कहा कि जगह-जगह पुलिस बल और दंडाधिकारी की प्रतिनियुक्ति होती है, ताकि कांवरियों की सुरक्षा और यात्रा में सुगमता बनी रहे। ऐसे में प्रशासन को कांवरिया मार्ग पर घूमने वाले कुत्तों को हटाने की दिशा में भी कदम उठाना चाहिए, ताकि कांवरियों को शांति और भयमुक्त होकर जलाभिषेक की यात्रा पूरी करने में सुविधा हो सके।
रात में और अधिक बढ़ जाती है परेशानी
रात के समय जब कांवरियों की संख्या कम होती है, तो कुत्ते कांवरियों को देख कर उनके करीब जाने की कोशिश करते हैं। कई बार वे झुंड में आकर कांवरियों के पीछे दौड़ने लगते हैं। इससे कांवरियों के बीच अफरातफरी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। कई बार कांवर गिरने की घटनाएं भी हो चुकी हैं।
व्यवस्था में सुधार की जरूरत
स्थानीय लोगों का कहना है कि कांवर यात्रा में प्रशासन को ट्रैफिक व्यवस्था और मेडिकल कैंप के साथ-साथ कांवरिया मार्ग पर कुत्तों को पकड़कर बाहर करने के लिए नगर निगम और पशुपालन विभाग के सहयोग से विशेष अभियान चलाना चाहिए। श्रावणी मेला में लाखों कांवरिए प्रतिवर्ष शामिल होते हैं, ऐसे में उन्हें भयमुक्त यात्रा का माहौल दिया जाना आवश्यक है।
जन सहभागिता जरूरी
सामाजिक संगठनों और युवाओं की टोली भी अगर कांवरियों को मार्ग में सहयोग दे, कुत्तों को दूर भगाने में मदद करें, तो कांवरियों को राहत मिलेगी। कांवर यात्रा आस्था की यात्रा है, जिसे निर्विघ्न और शांति से पूरा करना हर श्रद्धालु का अधिकार है।
कांवरियों ने जिला प्रशासन और श्रावणी मेला समिति से अपील की है कि कांवरिया मार्ग पर घूम रहे कुत्तों और आवारा पशुओं की समस्या का समाधान जल्द किया जाए, ताकि कांवरियों को जल अपवित्र होने के भय और कुत्तों के डर से राहत मिल सके, और वे शांति से बाबा का जलाभिषेक कर सकें।
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