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बिहार की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे जनसुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने बिहार में पलायन की बढ़ती समस्या को लेकर प्रधानमंत्री की नीतियों पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि जानबूझकर बिहार को मजदूरों का प्रदेश बनाए रखा गया है, जिससे यहां के युवा और कामगार अन्य राज्यों में सस्ते मजदूर के रूप में इस्तेमाल हो सकें।

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“बिहार को मजदूरों का प्रदेश बना दिया गया”

प्रशांत किशोर ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बिहार की जनता को मजबूरी में राज्य छोड़ना पड़ रहा है। उन्होंने सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा,
“बिहार को जानबूझकर मजदूरों का प्रदेश बना दिया गया है ताकि यहां के लोग गुजरात की फैक्ट्रियों में मजदूरी कर सकें।”
किशोर ने यह भी कहा कि बिहार के बच्चों को गुजरात, तमिलनाडु और कश्मीर तक जाकर काम करना पड़ रहा है, जो इस बात को दर्शाता है कि बिहार में रोजगार के अवसर न के बराबर हैं।

“11 साल में एक भी फैक्ट्री क्यों नहीं लगी?”

प्रशांत किशोर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 वर्षों के शासनकाल पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब से पीएम मोदी केंद्र की सत्ता में आए हैं, तब से अब तक बिहार में कोई बड़ी फैक्ट्री क्यों नहीं लगाई गई। उन्होंने कहा,
“ये सवाल पीएम मोदी से पूछा जाना चाहिए कि जब वो इतने वर्षों से सत्ता में हैं, तो बिहार में कोई इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट क्यों नहीं हुआ?”

“बिहार के बच्चे दूर-दराज जाकर क्यों काम कर रहे?”

किशोर ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में—चाहे वह कश्मीर हो, तमिलनाडु हो या गुजरात—बिहार के बच्चे मजदूरी कर रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या पंजाब या हिमाचल प्रदेश के लोग कश्मीर में मजदूर बनकर काम करते हैं? जवाब में उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होता, क्योंकि यह स्थिति केवल बिहार के साथ बनाई गई है।

“हमारे बच्चे आधी तनख्वाह पर काम करने को मजबूर”

प्रशांत किशोर ने मजदूरों की मजदूरी के अंतर पर भी ध्यान दिलाते हुए कहा कि बिहार के युवाओं को मजबूरी में तमिलनाडु जैसे राज्यों में जाकर मात्र 12-15 हजार रुपये में काम करना पड़ता है, जबकि उसी जगह के स्थानीय मजदूर 25 हजार रुपये की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि
“इससे साफ है कि बिहार को जानबूझकर गरीबी में रखा गया है, ताकि मजदूर बाजार में सस्ती लेबर उपलब्ध हो।”

“बिहार को सक्षम बनाने की जरूरत”

जनसुराज अभियान के तहत लगातार राज्य में जनसंपर्क कर रहे प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर बिहार को आत्मनिर्भर बनाना है, तो यहां फैक्ट्रियां लगनी चाहिए, रोजगार के अवसर पैदा होने चाहिए, और सरकार को ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जिससे राज्य से पलायन रुक सके।

“मजदूर नहीं, उद्योग चाहिए बिहार को”

उन्होंने कहा कि बिहार के युवाओं को मजदूर नहीं बल्कि उद्यमी बनाना होगा। इसके लिए राज्य और केंद्र सरकार दोनों को ठोस प्रयास करने होंगे।
“जब तक बिहार में उद्योग नहीं लगेगा, यहां का युवा दूसरे राज्यों में जाकर यूं ही सस्ते मजदूर के रूप में इस्तेमाल होता रहेगा,” प्रशांत किशोर ने कहा।


निष्कर्ष:
प्रशांत किशोर की यह टिप्पणी न केवल मौजूदा सरकार की विकास नीतियों पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी बताती है कि बिहार में रोजगार और पलायन की समस्या किस हद तक विकराल रूप ले चुकी है। सवाल यह है कि क्या वाकई बिहार को राजनीतिक रूप से मजदूर प्रदेश बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा बनाया गया है, या यह केवल सरकार की विफलता का नतीजा है? इस पर गंभीर विमर्श की आवश्यकता है।

 

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