बिहार के जलाशयों में सिर्फ 17 फीसदी ही पानी बचा है। केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) की रिपोर्ट बताती है कि इस समय सूबे के जलाशय गंभीर जल संकट में हैं। यही नहीं इन जलाशयों में पानी लगातार कम हो रहा है। आने वाले समय में संकट और गहरा होने की आशंका है।
जल संसाधन विभाग द्वारा जलाशयों की स्थिति को लेकर जारी रिपोर्ट और आयोग की रिपोर्ट को आधार बनाएं तो स्थिति बेहद खराब नजर आती है। केन्द्रीय जल आयोग के अनुसार देश के मुख्य जलाशयों में उपलब्ध पानी कुल भंडारण क्षमता से घटकर महज 20 प्रतिशत रह गया है। जबकि, जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार बिहार के जलाशयों में उनकी भंडारण क्षमता का केवल 17 फीसदी पानी ही शेष रह गया है। यही नहीं उसमें फिलहाल कमी जारी है।
बिहार में 23 प्रमुख जलाशय हैं, जिनकी भंडारण क्षमता 7.70 लाख एकड़ फीट है। लेकिन, इस समय इन सभी जलाशयों में केवल 1.31 लाख एकड़ फीट पानी ही शेष रह गया है। यही नहीं 9 जलाशय सूखे पड़े हैं जबकि 2 में महज 2 फीसदी पानी भी नहीं। वह भी सूखे जैसे हैं। राज्य के किसी भी जलाशय में उसकी क्षमता का 50 पीसदी पानी नहीं है। सबसे अधिक पानी दुर्गावती जलाशय में है। जहां उसकी भंडारण क्षमता का 40 फीसदी पानी है। यही नहीं अन्य सारे जलाशयों में 25 फीसदी से भी कम पानी है।
चंदन (बांका), विलासी (बांका), खड़गपुर (मुंगेर), नागी (जमुई), फुलवरिया (नवादा), कोल महादेव (नवादा), दुर्गावती (कैमूर),
औढ़नी (बांका), बेलहरना (बांका-मुंगेर), जालकुंड (मुंगेर), आंजन (जमुई), अमृति-श्रीखंडी (जमुई), गरही (जमुई), कैलाशघाटी (जमुई), बासकुंड (लखीसराय), मोरवे (लखीसराय), पुरैनी (नवादा), जौब (नवादा), ताराकोल (नवादा), बटाने (औरंगाबाद), बदुआ (बांका, भागलपुर, मुंगेर), नकटी (जमुई), कोहिरा (कैमूर)।
ये जलाशय हैं सूखे
जालकुंड नकटी, अमृति-श्रीखंडी, गरही, कैलाशघाटी, बासकुंड, फुलवरिया, ताराकोल व बटाने।
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