भागलपुर, ! नेपाल और उत्तर बिहार के विभिन्न जिलों में हुई भारी बारिश का प्रभाव अब गंगा और कोसी नदियों के जलस्तर पर स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। खासकर भागलपुर, सुल्तानगंज, कहलगांव, नवगछिया और कुरसेला क्षेत्र में इन नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। हालांकि राहत की बात यह है कि वर्तमान में किसी भी नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार नहीं कर पाया है।

गंगा में लगातार बढ़ रहा जलस्तर
पिछले 24 घंटों में गंगा नदी के जलस्तर में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। बाढ़ नियंत्रण कक्ष से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, हाथीदह में जलस्तर 22 सेंटीमीटर बढ़कर 35.36 मीटर से 35.68 मीटर हो गया है। मुंगेर में सबसे अधिक 31 सेंटीमीटर की वृद्धि दर्ज की गई, जिससे वहां जलस्तर 30.85 मीटर से बढ़कर 31.16 मीटर तक पहुंच गया। भागलपुर में गंगा 25.63 मीटर से बढ़कर 25.99 मीटर और कहलगांव में 25.01 मीटर से 25.18 मीटर पर बह रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि मुंगेर और हाथीदह में जलस्तर में वृद्धि से भागलपुर सहित निचले क्षेत्रों में दबाव बन रहा है, जिससे आने वाले दिनों में यहां भी जलस्तर में और इजाफा हो सकता है।
कोसी में भी उफान
कोसी नदी में भी 48 घंटे के भीतर औसतन 15 सेंटीमीटर की वृद्धि देखी गई है। खगड़िया, नवगछिया और कुरसेला क्षेत्र में कोसी का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। डुमरी, विजय घाट और कुरसेला से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, डुमरी में जलस्तर 32.66 मीटर से बढ़कर 32.84 मीटर, विजय घाट पर 28.41 मीटर से बढ़कर 28.58 मीटर और कुरसेला में 24.77 मीटर से 24.91 मीटर पर बह रहा है।
कोसी नदी का मिलन बिंदु कुरसेला में गंगा से होता है। खगड़िया और सीमावर्ती इलाकों में लगातार बारिश के कारण कोसी में बढ़ाव जारी है, जो निचले क्षेत्रों में पानी फैलने की आशंका को जन्म दे रहा है।
स्थिति फिलहाल नियंत्रण में
बाढ़ नियंत्रण कक्ष के अनुसार, अभी तक किसी तटबंध में दरार या कटाव की सूचना नहीं मिली है। जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता आदित्य प्रकाश ने बताया कि फिलहाल सभी तटबंध सुरक्षित हैं और हालात पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि बारिश का सिलसिला जारी रहा, तो नदियों के जलस्तर में और वृद्धि हो सकती है, लेकिन विभाग पूरी तरह से सतर्क है और सभी आवश्यक तैयारियां की जा चुकी हैं।
प्रशासन अलर्ट मोड में
प्रशासनिक स्तर पर भी हालात को लेकर चौकसी बरती जा रही है। संभावित बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए राहत केंद्रों की पहचान, नावों की व्यवस्था और आपदा प्रबंधन की पूर्व तैयारी शुरू कर दी गई है। बाढ़ पूर्व चेतावनी प्रणाली के जरिए निचले क्षेत्रों के लोगों को सतर्क किया जा रहा है।
निष्कर्ष
हालांकि अभी स्थिति चिंताजनक नहीं है, लेकिन गंगा और कोसी दोनों नदियों में जलस्तर की सतत वृद्धि आने वाले दिनों में चुनौती बन सकती है। विशेषकर यदि मानसून की सक्रियता बनी रहती है तो तटवर्ती गांवों और बाढ़ संभावित क्षेत्रों में अलर्ट और अधिक तेज किया जाएगा। फिलहाल, तटबंध सुरक्षित हैं और जल संसाधन विभाग की टीम हालात पर पूरी निगरानी बनाए हुए है।
अपना बिहार झारखंड पर और भी खबरें देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
सहरसा किलकारी बाल भवन में 3 से 22 जून तक रचनात्मक छुट्टियों का आयोजन
दहेज लोभियों ने ले ली 26 बर्षीय युवती की जान