बिहार में लगातार हो रही बारिश और गंगा सहित उसकी सहायक नदियों के जलस्तर में तेजी से हो रही वृद्धि ने सीमांचल व पूर्व बिहार के कई इलाकों में जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। खासकर कोसी और गंगा नदी के किनारे बसे इलाकों में हालात गंभीर होते जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र जलमग्न हो चुके हैं और शहरी क्षेत्रों में भी पानी घुसने से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
रविवार को कोसी नदी का जलस्तर शाम 4 बजे तक 1,89,390 क्यूसेक दर्ज किया गया। जल प्रवाह के बढ़ते दबाव को देखते हुए कोसी बराज के 56 में से 26 फाटक खोल दिए गए हैं ताकि पानी के प्रवाह को नियंत्रित किया जा सके। हालांकि प्रशासन का दावा है कि स्थिति अब भी नियंत्रण में है, लेकिन लगातार वर्षा और जलस्तर में वृद्धि ने चिंता को गहरा दिया है।
गंगा नदी का जलस्तर कहलगांव और भागलपुर समेत कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच चुका है। केंद्रीय जल आयोग के ताजा आंकड़ों के अनुसार, राज्य में कई स्थानों पर गंगा, कोसी, गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, कमला बलान और पुनपुन नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर रहा। वहीं गंडक, घाघरा और महानंदा नदियों के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इससे यह साफ है कि बाढ़ की स्थिति आने वाले दिनों में और गंभीर हो सकती है।
लगातार हो रही बारिश ने शहरी क्षेत्रों में भी हालात खराब कर दिए हैं। निचले इलाकों में जलजमाव हो गया है और कई घरों में पानी घुस चुका है। खासकर गंगा किनारे बसे शहरों की सड़कें नदी की चपेट में हैं, जिससे आवागमन ठप हो गया है। कई ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ का पानी खेतों में प्रवेश कर गया है जिससे फसलों की रोपनी और कृषि कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं।
इस आपात स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सभी संबंधित अधिकारियों को अलर्ट मोड में रहने का निर्देश दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि राज्य में आपदा से निपटने के लिए सभी मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के अनुसार तैयारियां पूरी रखी जाएं। मुख्यमंत्री रविवार को पटना स्थित सरदार पटेल भवन पहुंचे जहां उन्होंने गृह विभाग एवं आपदा प्रबंधन विभाग की समीक्षा की।
निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य में वर्षापात की स्थिति, नदियों के जलस्तर और फसल की रोपनी की प्रगति का जायजा भी लिया। उन्होंने राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र का भी दौरा किया और वहां की तैयारियों को देखकर संतोष जताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह केंद्र आपदा के समय एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और 24 घंटे संचालित होने वाला यह केंद्र बेहतर तरीके से कार्य कर रहा है।

प्रशासनिक सतर्कता और तैयारियों के बावजूद बाढ़ का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में आमजन की परेशानियां बढ़ गई हैं। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और राहत शिविरों की स्थापना की तैयारी की जा रही है।
सरकार की ओर से यह दावा किया जा रहा है कि सभी जरूरी संसाधन उपलब्ध हैं और किसी भी प्रकार की आपात स्थिति से निपटने के लिए युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है। फिर भी बाढ़ प्रभावित इलाकों में हालात बेहद चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं और आने वाले दिनों में स्थिति पर नजर बनाए रखना जरूरी होगा।
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