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भागलपुर जिले के सुल्तानगंज प्रखंड अंतर्गत महेशी पंचायत के कल्याणपुर मोतीचक गांव के 70 बाढ़ प्रभावित पर्चाधारियों का दर्द अब 27 साल बाद भी खत्म नहीं हो सका है। वर्ष 1997 में अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा जिन बाढ़ पीड़ितों को जमीन का पर्चा दिया गया था, आज 2025 में भी वे अपने अधिकार की उस जमीन पर बस नहीं सके हैं। ये सभी पीड़ित एक बार फिर न्याय की आस में अंचल और जिला प्रशासन के कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं।

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इस मामले में एक पर्चाधारी चन्द्रदेव मंडल ने बताया कि 1997 में उन्हें और अन्य 69 लोगों को बाढ़ प्रभावित मानते हुए कल्याणपुर मोतीचक में जमीन का पर्चा दिया गया था। लेकिन इतने वर्षों के बाद भी प्रशासन उन्हें उस जमीन पर बसाने में विफल रहा है। उन्होंने बताया कि सभी पर्चाधारियों ने अंचल कार्यालय से ऑनलाइन रसीद भी कटवाई है, फिर भी जमीन पर उनका कब्जा नहीं हो पाया है।

चन्द्रदेव मंडल ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वर्तमान अंचल पदाधिकारी रवि कुमार द्वारा पहले तो जल्द बसाने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अब उसी जमीन पर गांव के दबंगों द्वारा जबरन कब्जा कर मकान निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि अंचल पदाधिकारी रवि कुमार, इन दबंगों से अवैध वसूली कर जमीन पर अवैध निर्माण को बढ़ावा दे रहे हैं।

**हाईकोर्ट का आदेश भी पड़ा नजरअंदाज**
सबसे गंभीर बात यह है कि इस जमीन पर पर्चाधारियों को बसाने के लिए पटना हाईकोर्ट से भी स्पष्ट आदेश जारी हो चुका है। कोर्ट के आदेश के बावजूद प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पर्चाधारी बताते हैं कि जब कोर्ट का आदेश भी अमल में नहीं लाया जा रहा है, तो फिर वे किससे उम्मीद करें?

**राजनीतिक प्रतिनिधियों ने भी जताई नाराज़गी**
इस मुद्दे पर जन अधिकार दल यूनाइटेड (जदयू) के अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष महेश दास ने भी खुलकर प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि अंचल पदाधिकारी रवि कुमार पूरी तरह से मनमानी कर रहे हैं। वे न केवल सरकार के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, बल्कि दबंगों को संरक्षण देकर उन पर अवैध रूप से मकान बनवा रहे हैं। महेश दास ने यह भी आरोप लगाया कि यह पूरा मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा है, जिसमें गरीब और दलित वर्ग के लोगों के अधिकारों की खुलकर अनदेखी की जा रही है।

**प्रशासन पर निष्क्रियता का आरोप**
पर्चाधारी और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर समय रहते प्रशासन ने कदम नहीं उठाया, तो वे चरणबद्ध आंदोलन की राह पकड़ेंगे। उन्होंने बताया कि वे अंचल कार्यालय से लेकर डीएम ऑफिस तक गुहार लगा चुके हैं, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला है। जमीन पर कब्जा करने वालों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

**मुद्दा बना राज्य सरकार के लिए भी चुनौती**
यह मामला अब राज्य सरकार की प्रतिष्ठा से भी जुड़ गया है, क्योंकि इसमें सीधे तौर पर हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना और दलितों की उपेक्षा का मामला सामने आया है। यदि जल्द समाधान नहीं निकाला गया, तो यह सरकार की ‘घर-घर बसाओ’ योजना और सामाजिक न्याय की नीतियों पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर देगा।

**जन प्रतिनिधियों और पीड़ितों की मांग**
पर्चाधारियों और उनके समर्थन में आए जन प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और संबंधित मंत्री से मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषी अधिकारियों एवं अवैध कब्जाधारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही, हाईकोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए सभी 70 पर्चाधारियों को तुरंत जमीन पर बसाया जाए।



**निष्कर्ष:**
सुल्तानगंज के कल्याणपुर मोतीचक में वर्षों से अपने अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे बाढ़ प्रभावित पर्चाधारियों की यह लड़ाई अब सिर्फ जमीन की नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और सामाजिक न्याय के लिए बन गई है। हाईकोर्ट के आदेश और सरकारी वादों के बावजूद अगर 27 वर्षों में कोई समाधान नहीं निकल पाया है, तो यह व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

 

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By admin

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