भागलपुर से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां व्यवहार न्यायालय परिसर में पुलिस की लापरवाही और नक्सलियों के प्रति हमदर्दी जैसी स्थिति देखने को मिली। कोर्ट में पेशी के दौरान हथकड़ी लगे नक्सलियों को खुलेआम नाश्ता कराते हुए पुलिसकर्मी कैमरे में कैद हो गए। यह दृश्य सिर्फ नक्सलियों की हिम्मत नहीं, बल्कि सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरी भी उजागर करता है।

घटना का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें देखा जा सकता है कि पुलिसकर्मी दो कुख्यात नक्सलियों को नाश्ता करवा रहे हैं। दोनों के हाथ में हथकड़ी तो थी, लेकिन उसकी बागडोर भी उन्हीं के हाथ में दिख रही थी। यानी पुलिस का नियंत्रण उन पर नाममात्र का था। ऐसे में अगर वे फरार हो जाते, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी पुलिस पर ही आती।
मामला जमुई जिले के झाझा थाना क्षेत्र से जुड़ा है, जहां की पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि नक्सली अरविंद यादव का करीबी सहयोगी विजय यादव और श्रीराम यादव झाझा स्थित अपने घर आए हुए हैं। इस सूचना के आधार पर जमुई एसपी के निर्देश पर एसडीपीओ के नेतृत्व में एक टीम ने छापेमारी कर दोनों को गिरफ्तार किया।
गिरफ्तारी के बाद उन्हें भागलपुर के सुलतानगंज थाना में दर्ज एक पुराने मामले में न्यायिक पेशी के लिए भागलपुर व्यवहार न्यायालय लाया गया था। यहां पुलिस की लापरवाही खुलकर सामने आ गई, जब न्यायालय परिसर के पास ही उन्हें खुलेआम नाश्ता करवाया गया।
यह स्पष्ट रूप से सुरक्षा मानकों और जेल नियमों का उल्लंघन है। कानून के अनुसार, हिरासत में किसी भी आरोपी को बाहर का खाना नहीं दिया जा सकता, क्योंकि उसमें नशीले या हानिकारक तत्व मिलाए जाने की संभावना बनी रहती है। इसके अलावा, कोर्ट परिसर के आसपास इस प्रकार की छूट न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि आम लोगों की सुरक्षा के साथ भी खिलवाड़ है।
इस लापरवाही से यह भी साफ हो गया कि नक्सली चाहे कितने भी खतरनाक क्यों न हों, पुलिस की कार्यशैली में अब भी लापरवाही की गुंजाइश है। पुलिस को चाहिए कि इस मामले की गंभीरता को समझते हुए संबंधित कर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करे और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।
फिलहाल, दोनों नक्सलियों को भागलपुर कोर्ट में पेश करने के बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। लेकिन जिस तरह से पेशी के दौरान नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं, उसने पूरे सिस्टम की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है।
इस मामले को लेकर आम जनता के बीच भी चर्चा तेज हो गई है और सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद लोग कानून व्यवस्था को लेकर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि पुलिस महकमा इस लापरवाही पर क्या कदम उठाता है और क्या दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई होती है या नहीं।
यह घटना एक चेतावनी है कि अगर समय रहते ऐसे मामलों पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो यह लापरवाही किसी बड़ी चूक में बदल सकती है, जिसकी भरपाई पूरे तंत्र को करनी पड़ सकती है।
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