गंगा नदी के किनारे स्थित सैदपुर दुर्गा मंदिर की ख्याति काफी दूर-दूर तक फैली हुई है. माता का दर्शन करने श्रद्धालु दूर दराज से आते हैं. मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु माता से सच्चे मन से मुरादें मांगते हैं, माता उनकी हर मनोकामना पूरा करती हैं. हालांकि, इस बार लगातार तीसरी बार गंगा नदी की बाढ़ के कारण मेला के आयोजन में परेशानी हो रही है. ग्रामीणों के अनुसार 60-65 वर्ष पूर्व गोपालपुर थाना के तत्कालीन थानेदार आनंदी सिंह की पहल पर सैदपुर के प्रबुद्ध ग्रामीणों के सहयोग ठीठर गोसाई की जमीन पर अस्थाई मंदिर बना कर विधि-विधान से माता की प्रतिमा स्थापित कर पूजा शुरू की गयी.

सप्तमी को यहां दी जाती है कोहड़ा की बलि पूजा कमेटी के वर्तमान अध्यक्ष महेश कुंवर के नेतृत्व में लगभग पांच करोड़ रुपये से अधिक की लागत से माता के भव्य मंदिर का निर्माण किया गया. मंदिर की ख्याति दूर-दराज तक फैल गयी है. पिछले 25 वर्षों से बंगाल के सुप्रसिद्ध मूर्तिकार करूडजी के वंशजों द्वारा माता की भव्य प्रतिमा का निर्माण किया जाता है. यहां वैष्णव पद्धति से माता की पूजा की जाती है. इसी कारण यहां पशुओं की बलि नहीं दी जाती है. सप्तमी को कोहड़ा की बलि दी जाती है.

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