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भागलपुर जिले के सजौर थाना क्षेत्र अंतर्गत रामपुरडीह की रहने वाली अनामिका झा ने अपने ससुराल पक्ष पर दहेज प्रताड़ना, मारपीट और चरित्र हनन का गंभीर आरोप लगाया है। अनामिका ने महिला थाना में आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई है। इस आवेदन के आधार पर पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

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अनामिका झा ने बताया कि उसकी शादी 29 नवंबर 2019 को पूर्णिया जिले के रहने वाले विवेकानंद झा से हिंदू रीति-रिवाज से संपन्न हुई थी। विवेकानंद नोएडा की एक निजी कंपनी में कार्यरत है। शादी के शुरुआती कुछ महीने ठीक-ठाक बीते। इस दौरान पति-पत्नी के बीच कोई बड़ा विवाद सामने नहीं आया। इस बीच 13 अगस्त 2020 को अनामिका ने एक बेटे को जन्म दिया, जिससे दोनों परिवारों में कुछ समय के लिए खुशी का माहौल रहा।

लेकिन यह खुशियां अधिक दिन तक नहीं टिक सकीं। अनामिका के अनुसार जनवरी 2021 में उसका पति विवेकानंद उसे लेकर पूर्णिया अपने घर ले गया, लेकिन वहां सिर्फ एक सप्ताह ही ठहरा और फिर बिना अनामिका को साथ लिए नोएडा लौट गया। इसके बाद से अनामिका अपने ससुराल में रहने लगी। तभी से अनामिका की जिंदगी में मुश्किलें शुरू हो गईं।

अनामिका का आरोप है कि उसके ससुरालवालों – खासकर सास कांति देवी और ससुर मिथिलेश झा – ने उस पर दहेज में 5 लाख रुपये नकद और 10 कट्ठा जमीन लाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। जब उसने इस मांग को पूरा करने से मना किया तो उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाने लगा। बात-बात पर उसे ताना दिया जाता, गाली-गलौज की जाती और कई बार मारपीट भी की गई।

अनामिका ने एक और बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि उसके पति विवेकानंद का किसी अन्य महिला के साथ अवैध संबंध है। जब उसने विवेकानंद को रंगे हाथों किसी और महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ लिया, तभी से उसके साथ दुर्व्यवहार और हिंसा बढ़ गई। विवेकानंद ने भी उससे दूरी बना ली और आर्थिक रूप से भी कोई सहयोग नहीं दिया। धीरे-धीरे ससुरालवालों का रवैया और अधिक क्रूर होता गया।

जब अनामिका को अपने और अपने बेटे की सुरक्षा को लेकर डर सताने लगा, तब उसने महिला थाना में आवेदन देकर न्याय की मांग की। उसने स्पष्ट कहा कि उसे अब अपने ससुराल में रहना असंभव लग रहा है क्योंकि वहां उसकी जान को खतरा है।

महिला थाना की प्रभारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि अनामिका द्वारा दिए गए आवेदन के आधार पर जांच शुरू कर दी गई है। दोनों पक्षों को बुलाकर पूछताछ की जाएगी, और यदि आरोप सही पाए गए तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा और दहेज प्रताड़ना जैसे मामलों में शून्य सहनशीलता की नीति अपनाई जाती है।

वहीं अनामिका का कहना है कि वह अपने बेटे के भविष्य को लेकर चिंतित है और चाहती है कि न्याय मिले ताकि उसके जैसी अन्य महिलाएं भी हिम्मत करके आगे आ सकें।

यह मामला सिर्फ एक महिला की पीड़ा नहीं है, बल्कि समाज में आज भी मौजूद उस दकियानूसी सोच की तस्वीर है, जो बेटियों को केवल पैसों और संपत्ति की नजर से देखती है। अब देखना यह है कि कानून इस मामले में कितना प्रभावी साबित होता है और अनामिका को कब तक इंसाफ मिलता है।

 

 

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