दस्तारबंदीदस्तारबंदी

नारायणपुर प्रखंड के बीरबन्ना गांव स्थित मदरसा जामिया इस्लामिया सैय्यदना अबूबकर सिद्दीकी में एक भव्य जलसा-ए-दस्तारबंदी और कौमी एकता सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम न केवल धार्मिक विद्वानों की दस्तारबंदी के लिए यादगार रहा, बल्कि इसमें हिंदू-मुस्लिम एकता और आपसी भाईचारे का जो संदेश दिया गया, वह समाज में सौहार्द की मिसाल बन गया।

दस्तारबंदी

इस जलसे में कुल 13 हाफिजों को दस्तारबंदी की रस्म अदा की गई। बनारस से पधारे मशहूर इस्लामिक विद्वान हजरत मौलाना अहमद नसर साहब के करकमलों से हाफिज मो. आबिद, मो. सरफराज, सरताज, वफ़ा, इकरामुल, सूफियान, शादाब, हमीदुल्लाह, अतहर, अमजद, शहनवाज, फारूक और अशद को दस्तार पहनाई गई। इन सभी ने कुरान को हिफ्ज़ करने की कठिन साधना पूरी की है, और दस्तारबंदी के इस ऐतिहासिक पल में पूरे गांव में खुशी का माहौल देखने को मिला।

इस मौके पर आयोजित कौमी एकता सम्मेलन में देश के कई हिस्सों से आए धर्मगुरुओं और समाजसेवियों ने अपनी बात रखी। बनारस से आए हजरत मौलाना अहमद नसर साहब ने कहा कि “देश की एकता और अखंडता के लिए हमें नफरत नहीं, मोहब्बत का पैगाम फैलाना है।” उन्होंने कुरान और गीता दोनों की शिक्षाओं का हवाला देते हुए इंसानियत और भाईचारे पर बल दिया।

अररिया से हजरत मौलाना अब्दुल्ला सालीम, चतुर्वेदी जी, कोलकाता के मौलाना सोहराब साहब, पटना के मौलाना सोहराब कासमी और दिल्ली से आए विश्वानंद महाराज ने भी सम्मेलन को संबोधित किया। खास बात यह रही कि हिंदू और मुस्लिम धर्मगुरु एक मंच पर आकर आपसी सद्भावना और भारत की गंगा-जमुनी तहजीब को आगे बढ़ाने की बात कर रहे थे। सभी वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि “हमारा देश नफरत से नहीं, मोहब्बत से आगे बढ़ेगा।”

कार्यक्रम की शुरुआत उद्घाटन सत्र से हुई जिसमें उप प्रमुख अशोक कुमार यादव और सरपंच प्रतिनिधि कृष्ण कुमार सिंह सहित स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों से गांवों में भाईचारा और समझ बढ़ता है, और नई पीढ़ी को सही दिशा मिलती है।

कार्यक्रम में हजारों की संख्या में ग्रामीणों की उपस्थिति रही। भीड़ में सभी समुदायों के लोग मौजूद थे, जिन्होंने तालियों और नारों के साथ वक्ताओं के विचारों का स्वागत किया। आयोजन की सफलता में स्थानीय युवाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं की बड़ी भूमिका रही। मंजूर, हारून, रशीद, इरशाद, कौशर, मुर्शीद, जहांगीर, खुशींद, अब्दुल, करीम, अकरम, कासिम, जाहिर, एजाजुल हक, अली राजा, इमरान, संजार, इबरान, शमशेर, जावेद, नौशाद, बब्लू, गुफरान, मुश्ताक, शाबीर, केशर, आलम, अबुल सहित दर्जनों लोगों ने कार्यक्रम को सफल बनाने में दिन-रात मेहनत की।

जलसे का समापन सामूहिक दुआ के साथ हुआ, जिसमें भारत की शांति, एकता और तरक्की के लिए अल्लाह से प्रार्थना की गई। सभी लोगों ने आपसी सौहार्द बनाए रखने और समाज में अमन चैन की बहाली का संकल्प लिया। इस आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि अगर नीयत साफ हो, तो गांव से भी एकता और शांति का पैगाम पूरी दुनिया तक पहुंचाया जा सकता है।

 

 

अपना बिहार झारखंड पर और भी खबरें देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें

भागलपुर में आत्मा योजना की समीक्षा बैठक सम्पन्न, उप विकास आयुक्त ने योजनाओं के क्रियान्वयन में गति लाने के दिए निर्देश

सुपौल के कदमपुरा में आग पीड़ितों की मदद के लिए आगे आए संतोष यादव, 11 गरीब परिवारों को आर्थिक सहायता दी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *