नेशनल डेस्क:
“नीले ड्रम वाली मुस्कान” एक बार फिर से सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह कुछ अलग और चौंकाने वाली है। मुस्कान, जो हत्या के एक सनसनीखेज मामले में जेल में बंद है, अब खुद वकील बनकर अपना केस लड़ना चाहती है। इसके लिए उसने मेरठ जेल प्रशासन से बाकायदा LLB की पढ़ाई के लिए सिलेबस और शिक्षा व्यवस्था की जानकारी मांगी है।
“कोई मेरा केस वैसे नहीं लड़ेगा, जैसे मैं चाहती हूं”
जेल में अधिकारियों से बातचीत के दौरान मुस्कान ने कहा कि अब उसे ऐसा महसूस हो रहा है कि शायद कोई भी वकील उसका केस उस तरीके से नहीं लड़ेगा, जैसा वह खुद चाहती है। इसीलिए उसने कोर्ट में अपनी पैरवी खुद करने का फैसला लिया है। जेल के वरिष्ठ अधीक्षक डॉ. वीरेश राज शर्मा ने इस बात की पुष्टि की है कि मुस्कान ने LLB की पढ़ाई के बारे में जानकारी मांगी है। जेल प्रशासन अब इस अनुरोध पर गंभीरता से विचार कर रहा है कि क्या किसी बंदी को इस स्तर की उच्च शिक्षा की सुविधा दी जा सकती है।
जेल में शिक्षा का वर्तमान ढांचा
मेरठ जेल में पहले से ही इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (IGNOU) के माध्यम से हाई स्कूल और इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की व्यवस्था है। लेकिन LLB जैसी पेशेवर डिग्री की पढ़ाई को जेल के भीतर उपलब्ध करवाना प्रशासन के लिए एक नई चुनौती बनकर सामने आया है। जेल प्रशासन का कहना है कि इस मुद्दे पर कानूनी और तकनीकी पहलुओं से विचार किया जा रहा है।
मुस्कान की शिक्षा – अभी है लंबा रास्ता
अगर मुस्कान वकील बनना चाहती है, तो उसे एक लंबा शैक्षणिक सफर तय करना होगा। फिलहाल उसकी शिक्षा सिर्फ 9वीं कक्षा तक सीमित है। LLB की पढ़ाई के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता इंटरमीडिएट (12वीं पास) है। ऐसे में उसे पहले हाई स्कूल (10वीं) और फिर इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करनी होगी। इसके बाद ही वह पाँच वर्षीय इंटीग्रेटेड LLB कोर्स में दाखिला ले सकती है। यह पढ़ाई वह IGNOU जैसी संस्थाओं के माध्यम से कर सकती है, या फिर कोर्ट से विशेष अनुमति लेनी पड़ सकती है।
जेल प्रशासन की प्रतिक्रिया
जेल प्रशासन का कहना है कि यदि मुस्कान वास्तव में गंभीरता से पढ़ाई करना चाहती है, तो उसका प्रयास सराहनीय है। डॉ. शर्मा ने कहा कि जेल का मकसद सिर्फ सजा देना नहीं, बल्कि सुधार करना भी है। यदि कोई बंदी अपनी गलती से सबक लेकर जीवन में कुछ अच्छा करना चाहता है, तो प्रशासन उसकी मदद करेगा। हालांकि LLB जैसी पढ़ाई के लिए कई तकनीकी और कानूनी अड़चनें हैं, जिन पर विचार आवश्यक है।
कानूनी सहायता – अकेली रह गई मुस्कान
जहां सह-आरोपी साहिल से उसकी नानी और भाई मिलने जेल आए हैं और उसके परिजन प्राइवेट वकील का इंतजाम भी कर रहे हैं, वहीं मुस्कान अभी तक सिर्फ एक सरकारी वकील पर निर्भर है। जेल अधिकारियों के अनुसार, मुस्कान से उसके परिवार का अब तक कोई सदस्य मिलने नहीं आया है। शायद यही भी एक वजह है कि मुस्कान अब खुद ही अपनी कानूनी लड़ाई लड़ना चाहती है।
जेल में हुआ गर्भवती होने का खुलासा
इस पूरे मामले में एक और चौंकाने वाली जानकारी तब सामने आई जब जेल में मुस्कान की नियमित मेडिकल जांच के दौरान पता चला कि वह गर्भवती है। इसके बाद उसे सरकारी अस्पताल ले जाकर विस्तृत मेडिकल जांच करवाई गई, जिसमें अल्ट्रासाउंड सहित कई जांचों से उसकी गर्भावस्था की पुष्टि हुई। यह खबर सामने आने के बाद जेल प्रशासन और पुलिस दोनों सकते में हैं। अब सवाल उठ रहे हैं कि जेल में रहते हुए यह स्थिति कैसे उत्पन्न हुई और इसके पीछे कौन जिम्मेदार है।
मुस्कान का भविष्य – शिक्षा या संघर्ष?
मुस्कान के वकील बनने की इच्छा और जेल में रहते हुए पढ़ाई की तैयारी यह दर्शाती है कि वह अब अपने भविष्य को लेकर गंभीर है। हालांकि उसके सामने कई कानूनी, सामाजिक और व्यक्तिगत चुनौतियां हैं। लेकिन अगर जेल प्रशासन और कोर्ट की तरफ से उसे सही मार्गदर्शन और संसाधन मिले, तो यह कहानी समाज के लिए एक उदाहरण बन सकती है – कि अपराधी भी सुधार की राह पकड़ सकते हैं और शिक्षा के माध्यम से नई शुरुआत कर सकते हैं।
निष्कर्ष
“नीले ड्रम वाली मुस्कान” की यह नई यात्रा समाज के उस चेहरे को दिखाती है, जहां एक महिला अपराध की दुनिया से निकलकर न्याय की लड़ाई खुद लड़ने की ठान लेती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या उसकी यह कोशिश सफल होती है, और क्या समाज और तंत्र उसे यह मौका देता है कि वह अपने अतीत से आगे बढ़कर एक नया जीवन शुरू कर सके।
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