बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी गहमागहमी तेज हो गई है। पटना में आज चुनाव आयोग (EC) और सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के बीच अहम बैठक हुई। इस दौरान चुनाव की तैयारी, मतदाता सूची, सुरक्षा व्यवस्था और चरणबद्ध मतदान को लेकर दलों ने अपनी राय रखी। बैठक में सबसे बड़ी चर्चा इस बात पर रही कि बिहार में विधानसभा चुनाव कितने चरणों में कराए जाएं।
जेडीयू ने रखा एक चरण में चुनाव का प्रस्ताव
जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने चुनाव आयोग से स्पष्ट कहा कि बिहार में विधानसभा चुनाव एक ही चरण में कराए जाएं। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने कहा कि जब महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में एक फेज में मतदान हो सकता है, तो बिहार में क्यों नहीं। उन्होंने दावा किया कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पहले से बेहतर है और प्रशासन पूरी तरह तैयार है।
> “हमने चुनाव आयोग से आग्रह किया है कि बिहार में एक ही चरण में मतदान कराया जाए। जब महाराष्ट्र में एक फेज में चुनाव हो सकता है तो बिहार में भी यह संभव है। राज्य में SIR बहुत अच्छे तरीके से पूरा हुआ है, इसके लिए हमने चुनाव आयोग को धन्यवाद दिया है।”
संजय झा, कार्यकारी अध्यक्ष, जेडीयू
जेडीयू का मानना है कि ज्यादा चरणों में चुनाव कराने से सरकारी मशीनरी पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है और प्रशासनिक कामकाज प्रभावित होता है।
बीजेपी ने दो चरण में चुनाव कराने की वकालत की
वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस मुद्दे पर अलग राय रखते हुए कहा कि बिहार में विधानसभा चुनाव दो चरणों में कराए जाएं। प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने चुनाव आयोग से पारदर्शिता की तारीफ करते हुए कहा कि ज्यादा फेज वाले चुनाव में खर्च और संसाधन दोनों बढ़ जाते हैं।
> “हमने आयोग को सुझाव दिया है कि बिहार में विधानसभा चुनाव दो चरणों में कराए जाएं। ज्यादा फेज में चुनाव कराने से खर्च बढ़ता है और संस्थाएं बाधित होती हैं। हमने यह भी अनुरोध किया कि चुनाव की तारीखों की घोषणा के 28 दिन बाद ही मतदान कराया जाए ताकि तैयारी पूरी हो सके।”
दिलीप जायसवाल, अध्यक्ष, बिहार बीजेपी
उन्होंने यह भी कहा कि पिछली बार मतदाता पर्ची देर से मिलने की शिकायतें आई थीं, इसलिए इस बार वोटर पर्ची समय पर वितरित की जाए। बीजेपी ने साथ ही आयोग से सीसीटीवी निगरानी, सुरक्षा व्यवस्था और अर्धसैनिक बलों की तैनाती की मांग की ताकि मतदाताओं में आत्मविश्वास पैदा हो सके।
बूथों पर बुर्का बैन की मांग
बैठक में बीजेपी ने एक नया मुद्दा भी उठाया — महिलाओं के बुर्का पहनकर मतदान करने पर रोक। दिलीप जायसवाल ने कहा कि निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए बुर्का बैन जरूरी है ताकि पहचान से जुड़ी किसी गड़बड़ी की संभावना न रहे। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा और गोपनीयता का ध्यान रखते हुए आयोग को इस पर विचार करना चाहिए।
EC ने सभी दलों को दिए पारदर्शी चुनाव के सुझाव
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधु, डॉ. विवेक जोशी और बिहार के मुख्य चुनाव अधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल भी मौजूद थे। आयोग ने कहा कि राजनीतिक दल लोकतंत्र की आधारशिला हैं और पारदर्शी चुनावी प्रक्रिया में उनकी सक्रिय भागीदारी जरूरी है।
> “राजनीतिक दल चुनाव प्रक्रिया की आत्मा हैं। सभी दल यह सुनिश्चित करें कि हर बूथ पर उनके पोलिंग एजेंट मौजूद हों। चुनाव के पर्व को सौहार्द और मर्यादा के साथ मनाया जाए।”
ज्ञानेश कुमार, मुख्य चुनाव आयुक्त
आयोग ने सियासी दलों से अपील की कि वे चुनावी माहौल को शांतिपूर्ण बनाए रखें और मतदाताओं का सम्मान करें।
सभी दलों ने जताया भरोसा, दिए अहम सुझाव
बैठक में मौजूद सभी दलों ने आयोग के मतदाता सूची सुधार (SIR) अभियान की सराहना की। राजनीतिक दलों ने मतदाता सूची को पारदर्शी और त्रुटिरहित बनाने के लिए EC के प्रयासों की तारीफ की।
सभी दलों ने यह भी सुझाव दिया कि छठ पर्व के तुरंत बाद चुनाव कराए जाएं ताकि अधिक से अधिक मतदाता मतदान में हिस्सा ले सकें।
चुनाव आयोग ने भी जताई तत्परता
आयोग ने कहा कि वह बिहार में स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। बैठक के अंत में सभी दलों ने एक स्वर में कहा कि उन्हें आयोग पर पूरा भरोसा है और वे लोकतंत्र के इस उत्सव को शांतिपूर्ण और पारदर्शी तरीके से संपन्न कराने में सहयोग देंगे।
निष्कर्ष
पटना में हुई यह बैठक बिहार विधानसभा चुनाव की दिशा तय करने वाली साबित हो सकती है। जेडीयू जहां एक चरण में चुनाव चाहती है, वहीं बीजेपी दो फेज में मतदान कराने के पक्ष में है। सभी दलों ने आयोग की निष्पक्षता पर भरोसा जताया है। अब नजर चुनाव आयोग पर है कि वह बिहार में लोकतंत्र के इस महापर्व को कितने चरणों में संपन्न कराता है — एक या दो।
