चालक

अकबरनगर थाना क्षेत्र अंतर्गत एनएच-80 मुख्य सड़क मार्ग पर मंगलवार देर रात एक दर्दनाक हादसे में अकबरनगर थाना के प्राइवेट चालक दिलीप कुमार पासवान की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। इस घटना के बाद बुधवार को मृतक के परिजनों और स्थानीय ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। पोस्टमार्टम के बाद जब शव को अकबरनगर लाया गया, तो आक्रोशित परिजनों और ग्रामीणों ने शव को एनएच-80 मुख्य सड़क पर रख कर घंटों तक जाम कर दिया। इस दौरान परिजनों ने पुलिस पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया और मृतक के परिजन को मुआवजा तथा पुत्र को नौकरी देने की मांग की।

परिजनों का पुलिस पर लापरवाही का आरोप

जाम के दौरान परिजनों ने साफ कहा कि पुलिस इस घटना की सच्चाई को छिपा रही है। पुलिस ने पहले कहा कि दिलीप को कोई वाहन धक्का मारकर चला गया, लेकिन अब तक उस वाहन की पहचान नहीं हो सकी है। परिजनों का कहना है कि यह साधारण दुर्घटना नहीं है, बल्कि इसमें कई संदिग्ध पहलू हैं, जिन्हें पुलिस नजरअंदाज कर रही है। मृतक दिलीप कुमार की चाबी वाहन के अंदर से नहीं बल्कि सड़क किनारे से मिली, जिससे आशंका जताई जा रही है कि यह सामान्य हादसा नहीं बल्कि सुनियोजित हमला भी हो सकता है।

पुलिस का घटनाक्रम

पुलिस की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार मंगलवार रात को दिलीप कुमार पासवान को गश्ती वाहन लेकर भवनाथपुर बगीचा के समीप भेजा गया था। गश्ती दल में मौजूद एक पुलिसकर्मी ने बताया कि जब वे लोग बगीचा पुल के पास तीन संदिग्ध लोगों की मौजूदगी की सूचना पर जांच करने गए, तब दिलीप ने वाहन को सड़क किनारे खड़ा कर दिया था। जांच के बाद जब पुलिसकर्मी लौटे, तो देखा कि चालक दिलीप कुमार सड़क पर लहूलुहान हालत में पड़ा हुआ था और वाहन की चाबी भी पास में नहीं थी। तत्काल उसे मायागंज अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

सवालों के घेरे में पुलिस

घटना के समय गश्ती दल के अन्य पुलिसकर्मी मौके पर ही थे, इसके बावजूद उन्होंने भागने वाले वाहन (जिसे परिजन बुलेट मोटरसाइकिल बता रहे हैं) का पीछा क्यों नहीं किया — यह बड़ा सवाल बना हुआ है। स्थानीय लोगों और परिजनों का आरोप है कि घटनास्थल के पास ही भवनाथपुर के आगे 112 नंबर पुलिस वाहन मौजूद था और दोगछी बाईपास पर भी पुलिस कर्मी ड्यूटी पर तैनात थे। इसके बावजूद न तो समय पर किसी को सूचना दी गई और न ही भाग रहे संदिग्ध की पहचान या गिरफ्तारी हो सकी।

मुआवजा और नौकरी की मांग

परिजनों ने साफ तौर पर कहा कि दिलीप कुमार की मौत में पुलिस की लापरवाही जिम्मेदार है और इस कारण उनके परिवार को सरकार की ओर से समुचित मुआवजा मिलना चाहिए। साथ ही मृतक के पुत्र को सरकारी नौकरी देने की भी मांग की गई। सड़क जाम के दौरान ग्रामीणों ने जमकर नारेबाजी की और थाना पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन किया।

पुलिस-प्रशासन की पहल

घटना की जानकारी मिलते ही अकबरनगर थाना के साथ-साथ सुलतानगंज और बाथ थाना की पुलिस मौके पर पहुंच गई। अधिकारियों ने आक्रोशित परिजनों और ग्रामीणों को समझा-बुझाकर शांत कराया। पुलिस अधिकारियों ने नियमानुसार मुआवजा दिलवाने और निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया। इसके बाद लगभग आधे घंटे बाद सड़क जाम हटाया गया और यातायात व्यवस्था बहाल की गई।

जांच की मांग

इस घटना को लेकर ग्रामीणों और परिजनों ने निष्पक्ष जांच की मांग की है। लोगों का मानना है कि अगर समय रहते पुलिस ने कार्रवाई की होती तो दिलीप की जान बच सकती थी या कम से कम दोषियों की पहचान हो सकती थी। इस मामले में कई सवाल अनुत्तरित हैं, जिनका जवाब पुलिस को देना होगा।

निष्कर्ष

दिलीप कुमार पासवान की मौत ने पुलिस व्यवस्था और गश्ती प्रणाली की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय जनता अब न्याय और जवाबदेही की मांग कर रही है। पुलिस को चाहिए कि मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों को गिरफ्तार करे और पीड़ित परिवार को यथोचित सहायता मुहैया कराए।

 

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