बिहार सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण (PMAY-G) के तहत परिवार की परिभाषा स्पष्ट करते हुए बड़ा फैसला लिया है, जिससे योजना के क्रियान्वयन में आ रही उलझनों को खत्म किया जा सके और पात्र लाभुकों को समय पर योजना का लाभ मिले। अब इस योजना का लाभ लेने के लिए किसे ‘एक परिवार’ माना जाएगा, इसे लेकर ग्रामीण विकास विभाग ने स्थिति स्पष्ट कर दी है।
ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने जानकारी दी कि अब पति-पत्नी और उनके अविवाहित बच्चे एक परिवार माने जाएंगे। इसके साथ ही, ऐसे अविवाहित वयस्क जिनके माता-पिता जीवित नहीं हैं, उन्हें भी एकल परिवार माना जाएगा और उन्हें भी प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण का लाभ दिया जाएगा। मंत्री ने कहा कि यह निर्णय बिहार सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाता है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए लगातार प्रयासरत है।
पहले स्पष्ट नहीं थी परिभाषा, आती थी अड़चन
ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों के अनुसार, पहले प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में ‘परिवार’ की परिभाषा स्पष्ट नहीं होने के कारण लाभुकों के चयन में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही थी। इस कारण कई बार परिवारों में विवाद भी उत्पन्न होते थे और पात्र लाभुक योजना से वंचित रह जाते थे। अब बिहार सरकार के इस निर्णय से योजना के कार्यान्वयन में पारदर्शिता आएगी और लाभुकों का चयन सही ढंग से हो सकेगा।
सरकार ने इस निर्णय के लिए कैबिनेट से स्वीकृति भी प्राप्त कर ली है। इसके बाद अब लाभुकों के चयन के लिए सर्वेक्षण कर सूची बनाई गई है, जिसमें एक करोड़ चार लाख 90 हजार परिवारों को शामिल किया गया है। अब इस सूची का सत्यापन कार्य कराया जाएगा, सत्यापन उपरांत सूची को ग्राम सभा में प्रस्तुत कर सहमति ली जाएगी, जिससे पात्रता के आधार पर लाभुकों का अंतिम चयन सुनिश्चित किया जा सके।
कौन-कौन परिवार नहीं होंगे पात्र
ग्रामीण विकास विभाग ने प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के अंतर्गत 11 मानक तय किए हैं, जिसके आधार पर यह निर्धारित होगा कि कौन परिवार योजना के लिए अयोग्य होगा।
- जिन परिवारों के पास पक्का मकान है।
- जिनके पास मोटरयुक्त तिपहिया या चौपहिया वाहन है।
- जिनके पास मशीनी तिपहिया या चौपहिया कृषि उपकरण है।
- जिनके पास ₹50,000 या उससे अधिक सीमा वाला किसान क्रेडिट कार्ड है।
- जिन परिवारों में कोई सदस्य सरकारी कर्मचारी है।
- जिन परिवारों का कोई सदस्य आयकरदाता है।
- जिन परिवारों में कोई सदस्य ₹15,000 प्रति माह से अधिक कमाता है।
- जिन परिवारों के पास सरकार के पास पंजीकृत गैर-कृषि उद्यम है।
- जो व्यवसाय कर (Trade Tax) देने वाले परिवार हैं।
- जिन परिवारों के पास 2.5 एकड़ या उससे अधिक सिंचित भूमि है।
- जिनके पास 5 एकड़ या उससे अधिक असिंचित भूमि है।
इन मानकों को लागू करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वास्तव में जरूरतमंद और गरीब परिवारों तक योजना का लाभ पहुंचे। सरकार ने स्पष्ट किया है कि जो परिवार पहले से किसी अन्य सरकारी आवास योजना का लाभ ले चुके हैं, उन्हें भी इस योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा।
अविवाहित वयस्कों को मिलेगा सीधा लाभ
इस फैसले के बाद अब जिन अविवाहित वयस्कों के माता-पिता जीवित नहीं हैं, उन्हें भी प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत एकल परिवार मानते हुए पक्का घर उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए उन्हें अलग से आवेदन करने का अवसर मिलेगा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में उन युवा वयस्कों को राहत मिलेगी, जो माता-पिता के निधन के बाद परिवार में शामिल नहीं हो पाते थे और आवास योजना से वंचित रह जाते थे।
चुनावी वर्ष में बड़ा फैसला
गौरतलब है कि यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब बिहार में चुनावी वर्ष है और सरकार की प्राथमिकता ग्रामीण क्षेत्रों में योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन पर है। नीतीश सरकार के इस फैसले से प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में परिवार की परिभाषा को लेकर होने वाले विवादों का भी समाधान होगा और योजना का लाभ सही लोगों तक पहुंच सकेगा।
आगे की प्रक्रिया
अब सरकार द्वारा बनाई गई सूची का ग्राम सभा में सत्यापन कर अंतिम सूची तैयार की जाएगी। इसके उपरांत पात्र लाभुकों के आवास निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि अधिकतम पात्र लाभुकों को इस योजना का लाभ जल्द से जल्द दिया जाए ताकि वे पक्के घर में सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सकें।
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण को लेकर बिहार सरकार का यह निर्णय ग्रामीण विकास की दिशा में एक सशक्त कदम है, जिससे योजनाओं में पारदर्शिता और गरीबों के हित में सुधार सुनिश्चित होगा। यह कदम गांवों में गरीबी उन्मूलन के साथ-साथ ग्रामीण जीवन स्तर को ऊंचा उठाने में सहायक साबित होगा।
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