गोपालपुर प्रखंड के सैदपुर गांव स्थित प्रसिद्ध दुर्गा मंदिर पर गंगा नदी के कटाव का संकट गहराता जा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार, गंगा के तेज बहाव ने मंदिर के ठीक बगल की जमीन को काटना शुरू कर दिया है। हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि मंदिर तक जाने वाली मुख्य सड़क का एक हिस्सा पानी में समा चुका है, जबकि आसपास की मिट्टी भी लगातार बह रही है।
मंदिर बचाने की गुहार में दिन-रात हाथ जोड़े बैठे हैं गांव के बुद्ध परमानंद चौधरी और अन्य ग्रामीण। उनका कहना है कि यह मंदिर पूरे गांव की आस्था का केंद्र है, जिसे बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। “गंगा मैया से प्रार्थना के साथ-साथ हम प्रशासन से भी गुहार लगा रहे हैं कि कटाव रोकने के लिए तत्काल काम शुरू किया जाए, वरना मंदिर पानी में समा जाएगा,” परमानंद ने कहा।
गांव के वृद्ध इंद्रदेव ने बताया कि ग्रामीणों ने स्वयं मिट्टी काटकर मंदिर के पास बहाव रोकने का प्रयास किया है, लेकिन गंगा का तेज बहाव उनके सभी प्रयासों को नाकाम कर दे रहा है। उन्होंने कहा, “हमने सांसद और जनप्रतिनिधियों से समाधान की मांग की है, ताकि यह ऐतिहासिक मंदिर बचा रहे।”
मंदिर के पास बहने वाला गंगा का पानी इस समय भंवरा के साथ बह रहा है, जिसमें काफी करंट है। यही कारण है कि कटाव तेजी से बढ़ रहा है और मंदिर का एक कोना पहले ही क्षतिग्रस्त हो चुका है। भोला बाबा के मंदिर का भी हिस्सा झर गया है, जिससे श्रद्धालुओं में और चिंता बढ़ गई है।
गंगा के दबाव ने न केवल मंदिर को, बल्कि आसपास के आवासीय क्षेत्र को भी खतरे में डाल दिया है। विभागीय सड़क पर बने पुलिया के पास से बाढ़ का पानी तेजी से बहते हुए मंदिर के निकट पहुंच रहा है। मंदिर परिसर में दुर्गा मैया की प्रतिमा के सामने ग्रामीण लाचार होकर विनती कर रहे हैं कि किसी तरह गंगा के बहाव को मोड़कर कटाव को रोका जाए।
सैदपुर दुर्गा मंदिर का निर्माण पूरे गांव के सहयोग से हुआ था और यह क्षेत्र का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। हर साल यहां दुर्गा पूजा पर भव्य आयोजन होते हैं, जिसमें दूर-दराज से श्रद्धालु आते हैं। लेकिन इस बार पूजा से पहले ही मंदिर के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो न केवल यह मंदिर, बल्कि आसपास की बस्तियां भी गंगा में विलीन हो जाएंगी। वे चाहते हैं कि प्रशासन तत्काल पथरीकरण, तटबंध निर्माण या अन्य स्थायी उपाय करे, ताकि यह आस्था का प्रतीक संरक्षित रह सके।
फिलहाल, सैदपुर के लोग दिन-रात मां दुर्गा के सामने और प्रशासन के दरवाजे पर विनती कर रहे हैं, लेकिन गंगा का कटाव लगातार उनकी उम्मीदों को चुनौती दे रहा है। यह संकट केवल एक धार्मिक स्थल का नहीं, बल्कि सैकड़ों लोगों की आस्था और अस्तित्व का भी है।
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