बिहार में गंगा, कोसी और बूढ़ी गंडक नदियां बुधवार को भी कई जगहों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही थीं। नेपाल के पर्वतीय इलाकों में लगातार हो रही भारी बारिश का प्रत्यक्ष असर बिहार की नदियों में देखने को मिल रहा है। बराह क्षेत्र जल अधिग्रहण क्षेत्र में जलस्तर में तेजी से वृद्धि दर्ज की गई, जिससे कोसी नदी के प्रवाह में भी उल्लेखनीय उफान आया है। बुधवार दोपहर 12 बजे बराह क्षेत्र का जलस्तर 1,42,250 क्यूसेक तक पहुंच गया, जबकि शाम 6 बजे यह बढ़कर 1,73,790 क्यूसेक दर्ज किया गया। इसे इस वर्ष का अब तक का सर्वाधिक स्तर माना जा रहा है। बढ़ते जल दबाव को नियंत्रित करने के लिए एहतियातन कोसी बराज के 24 गेट खोल दिए गए हैं।

इधर फरक्का बराज के सभी 108 गेट खोलने का असर दिखने लगा है। गंगा नदी के जलस्तर में कमी आने लगी है, जिससे निचले इलाकों में राहत की उम्मीद बढ़ी है। जल संसाधन विभाग ने सभी बांधों को सुरक्षित होने का दावा किया है। विभाग के अभियंता और अधिकारी पालियों में 24 घंटे बांधों की निगरानी कर रहे हैं। साथ ही एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें अलर्ट मोड पर हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति में तत्काल राहत और बचाव कार्य किया जा सके।
भागलपुर जिले के सबौर प्रखंड की ममलखा पंचायत के चायचक में गंगा का पानी प्रवेश कर चुका है। मंगलवार की देर रात गंगा के तेज बहाव में वहां की पीसीसी सड़क, पीपल का विशाल पेड़ और उसके पास स्थित बजरंगबली मंदिर भी गंगा में समा गया। शाहकुंड की बेलथू, मकंदपुर, खुलनी, पैरडोमिनामाल और खैरा दरियापुर पंचायत के निचले इलाकों में बाढ़ का पानी फैल चुका है, जिससे ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गई है।
कहलगांव के टपुआ, रानीदियारा, तोफिल आदि क्षेत्रों में पिछले कई दिनों से गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे मैदानी इलाकों में गंगा का पानी फैलने लगा है। मुंगेर जिले के हवेली खड़गपुर प्रखंड के गालिमपुर सती स्थान से भदौरा जाने वाली ग्रामीण सड़क भी बाढ़ के पानी में डूब गई है। खगड़िया जिले में भी कुछ गांवों में बाढ़ का पानी तेजी से फैल रहा है, हालांकि प्रशासन का कहना है कि अभी स्थिति नियंत्रण में है और बांध सुरक्षित हैं।
केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, हाथीदाह में गंगा नदी बुधवार सुबह 6 बजे खतरे के निशान से 37 सेंटीमीटर ऊपर थी और इसमें गुरुवार सुबह 8 बजे तक 9 सेंटीमीटर कमी होने की संभावना है। भागलपुर में गंगा नदी का जलस्तर बुधवार सुबह 6 बजे खतरे के निशान से 38 सेंटीमीटर नीचे था, लेकिन इसमें गुरुवार दोपहर 4 बजे तक 15 सेंटीमीटर की वृद्धि का अनुमान है। पटना जिले के मनेर में सोन नदी का जलस्तर बुधवार सुबह 6 बजे खतरे के निशान से 7 सेंटीमीटर नीचे था, जिसमें गुरुवार सुबह 8 बजे तक 18 सेंटीमीटर कमी होने की संभावना है।
इसी प्रकार गोपालगंज के डुमरियाघाट में गंडक नदी का जलस्तर बुधवार सुबह 6 बजे खतरे के निशान से 45 सेंटीमीटर नीचे था, और इसमें गुरुवार सुबह 6 बजे तक 3 सेंटीमीटर की कमी होने की संभावना जताई गई है। खगड़िया में बूढ़ी गंडक नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 41 सेंटीमीटर ऊपर दर्ज किया गया है, जिससे आसपास के इलाकों में सतर्कता बढ़ा दी गई है।
बढ़ते जलस्तर और बाढ़ की स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने सभी संबंधित अधिकारियों और विभागों को अलर्ट रहने का निर्देश दिया है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को संवेदनशील इलाकों में तैनात किया गया है। बांधों पर फ्लड फाइटिंग की सामग्री पर्याप्त मात्रा में रखी गई है, ताकि किसी भी आपात स्थिति में बांधों की सुरक्षा को प्राथमिकता पर संभाला जा सके।
सरकारी स्तर पर यह दावा किया गया है कि फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन नदियों के जलस्तर में लगातार बदलाव के बीच प्रशासन सतर्क है और ग्रामीणों को भी सतर्क रहने और सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है। बाढ़ के पानी के फैलने से सैकड़ों परिवार प्रभावित हुए हैं, जिनकी सहायता के लिए प्रशासन राहत शिविर और चिकित्सा शिविर संचालित करने की तैयारी में है।
यदि जलस्तर में वृद्धि जारी रही तो आने वाले दिनों में स्थिति और गंभीर हो सकती है। प्रशासन की ओर से लोगों से अपील की गई है कि अफवाहों पर ध्यान न दें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें ताकि किसी भी प्रकार की अनहोनी से बचा जा सके।
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