सबौर। प्रखंड क्षेत्र के मसाढू ममलखा में गंगा के भीषण कटाव को रोकने के लिए गंगा कटाव निरोधी कार्य तेज गति से किया जा रहा है। पिछले चार जून से लगातार चल रहे इस कार्य में अब तक 960 मीटर क्षेत्र में प्रथम लेयर का काम पूरा कर लिया गया है। वहीं 1080 मीटर क्षेत्र में भी प्रथम लेयर का कार्य किया गया था, लेकिन गंगा के जलस्तर में वृद्धि के कारण पानी आ जाने से वहां का कार्य अस्थाई रूप से रोकना पड़ा है।

गौरतलब है कि मसाढू से लेकर चांयचक तक गंगा कटाव निरोधी कार्य किया जाना है। इस क्षेत्र में पूर्व में भीषण गंगा कटाव हुआ था, जिससे किसानों की फसल, घर और हजारों लोगों की जमीन नदी में समा गई थी। इसे देखते हुए जल संसाधन विभाग द्वारा इस बार समय से पहले कटाव निरोधी कार्य शुरू किया गया, ताकि बारिश और बाढ़ के दौरान होने वाले नुकसान से लोगों को राहत मिल सके।
जल संसाधन विभाग के कनिय अभियंता ने बताया कि अब तक 1080 मीटर क्षेत्र में प्रथम लेयर का कार्य पूरा किया जा चुका था, लेकिन पानी के बढ़ जाने से वहां कार्य रोककर 960 मीटर क्षेत्र में तेजी से प्रथम लेयर का काम पूरा किया गया। इसके बाद शेष क्षेत्र में स्लोप कटवाने का कार्य किया जा रहा है, ताकि गंगा के जलस्तर में वृद्धि के बावजूद कटाव निरोधी कार्य को कोई क्षति न पहुंचे।
उन्होंने बताया कि गंगा का जलस्तर प्रतिदिन एक से दो फीट बढ़ रहा है, ऐसे में कटाव निरोधी कार्य को तेजी से पूरा किया जा रहा है ताकि जलस्तर बढ़ने के बावजूद कटाव की समस्या उत्पन्न न हो। विभाग की ओर से करीब 300 से अधिक मजदूरों को इस कार्य में लगाया गया है, जो अलग-अलग पाली में कार्य कर रहे हैं। मजदूर बोरियां भरने, उसे गंगा किनारे बिछाने और स्लोप तैयार करने के काम में लगे हुए हैं।
ग्रामीणों ने भी गंगा कटाव निरोधी कार्य तेज गति से होने पर राहत की सांस ली है। किसानों का कहना है कि पिछले वर्षों में गंगा के कटाव से हजारों एकड़ उपजाऊ भूमि चली गई, लेकिन इस बार कार्य समय पर शुरू होने और तेजी से होने के कारण लोगों में भय की स्थिति कम हो रही है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी विभागीय अधिकारियों से लगातार संपर्क कर कटाव निरोधी कार्य की मॉनिटरिंग कराई, जिससे मजदूरों की संख्या बढ़ाई गई और कार्य में तेजी आई।
जल संसाधन विभाग का कहना है कि इस बार कार्य पूरा कर लेने के बाद जलस्तर में वृद्धि होने पर भी कटाव की समस्या नहीं होगी और मसाढू से लेकर चांयचक तक के लोगों की जमीन और घर सुरक्षित रह सकेंगे। विभाग का प्रयास है कि जुलाई के पहले सप्ताह तक अधिकतम कार्य पूरा कर लिया जाए, ताकि बारिश और बाढ़ के दौरान किसी भी प्रकार की आपात स्थिति उत्पन्न न हो।