मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में कफ सिरप पीने से कई मासूम बच्चों की मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना के बाद न केवल मध्य प्रदेश में बल्कि कई राज्यों में दहशत फैल गई है। सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए राज्य में इस कफ सिरप की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है, वहीं झारखंड के धनबाद जिले में भी सतर्कता बढ़ा दी गई है।

जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हुई बच्चों की मौत की घटनाओं को देखते हुए अब अन्य राज्यों को भी अलर्ट कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को बच्चों को दी जाने वाली दवाओं को लेकर सतर्कता बरतने का निर्देश दिया है।

धनबाद में स्वास्थ्य विभाग ने विशेष निगरानी की व्यवस्था शुरू कर दी है। जिला आरसीएच पदाधिकारी डॉ. रोहित गौतम ने बताया कि केंद्र से मिले निर्देशों के बाद जिला स्तर पर सतर्कता बरती जा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप नहीं देने की सलाह चिकित्सकों को दी जाएगी। सामान्य तौर पर इस उम्र में बच्चों की खांसी बिना दवा के खुद ठीक हो जाती है। डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को निर्देश दिया जा रहा है कि वे बिना आवश्यकता छोटे बच्चों को खांसी की सिरप न दें।

धनबाद में आने वाले दिनों में सरकारी और निजी अस्पतालों को लिखित निर्देश जारी किए जाएंगे, ताकि किसी भी प्रकार की लापरवाही से बच्चों की जान खतरे में न पड़े। साथ ही, सभी दवा दुकानों को भी चेतावनी दी जाएगी कि वे संदिग्ध कफ सिरप की बिक्री तत्काल बंद करें।

घटना का कारण और कार्रवाई:
छिंदवाड़ा में हुए इस हादसे का मुख्य कारण “कोल्ड्रिफ कफ सिरप” बताया जा रहा है। पुलिस जांच में सामने आया कि यह सिरप पीने के बाद बच्चों की तबीयत अचानक बिगड़ गई, जिसके बाद कई बच्चों ने दम तोड़ दिया। इस मामले में डॉ. प्रवीण सोनी, जो परासिया के एक जाने-माने बाल रोग विशेषज्ञ हैं, को गिरफ्तार किया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने सर्दी-बुखार से पीड़ित बच्चों को यह सिरप देने की सलाह दी थी।

प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई करते हुए संबंधित कंपनी के उत्पादों की जांच शुरू कर दी है, और सभी बैच को जब्त करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए विशेष मेडिकल जांच समिति गठित की है।

देशभर में हड़कंप:
इस घटना के बाद देशभर के डॉक्टरों और अभिभावकों में चिंता की लहर है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे बच्चों को बिना विशेषज्ञ की सलाह के कोई भी दवा नहीं देनी चाहिए, खासकर खांसी या सर्दी की सिरप।

डॉ. रोहित गौतम ने कहा — “दो साल से कम उम्र के बच्चों में खांसी आम बात है, लेकिन कई बार अभिभावक जल्दबाजी में दवा दे देते हैं, जो खतरनाक साबित हो सकती है। हमें अब ज़्यादा सतर्क रहना होगा।”

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से शुरू हुई यह त्रासदी अब देशभर में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के लिए एक चेतावनी बन गई है। सरकारें अब यह सुनिश्चित करने में जुट गई हैं कि बच्चों की ज़िंदगी के साथ कोई भी खिलवाड़ न हो सके।

 

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