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इटावा (उत्तर प्रदेश):
सोशल मीडिया पर इन दिनों उत्तर प्रदेश के इटावा रेलवे स्टेशन का एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है, जिसने रेलवे प्रशासन और यात्रियों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वीडियो प्लेटफॉर्म नंबर-2 का है, जहां सरसों का तेल फैलने के कारण यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

दरअसल, किसी यात्री की लापरवाही के चलते प्लेटफॉर्म पर सरसों का तेल गिर गया, जो धीरे-धीरे पूरी फर्श पर फैल गया। फिसलन इतनी ज्यादा हो गई कि ना सिर्फ यात्री बल्कि RPF जवान भी खुद को संभाल नहीं पाए और गिर पड़े।

तेल के कारण मची अफरातफरी

घटना उस वक्त की है जब प्लेटफॉर्म पर एक ट्रेन आकर रुकी थी। यात्री ट्रेन से उतर और चढ़ रहे थे कि तभी सरसों के तेल की वजह से कई लोग फिसलने लगे। प्लेटफॉर्म की स्थिति कुछ ही मिनटों में बेहद खतरनाक हो गई।

सीसीटीवी कैमरे में कैद इस पूरी घटना में साफ देखा जा सकता है कि कैसे लोग एक-एक करके फिसलते जा रहे हैं। कुछ यात्री तो चलते-चलते सीधे जमीन पर जा गिरे।

RPF जवान भी नहीं बच सके

सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि जब RPF जवान जेके मेजर यात्रियों की मदद के लिए आगे आए और उन्हें गिरने से रोकने का प्रयास कर रहे थे, उसी दौरान खुद उनका भी संतुलन बिगड़ गया और वह फिसलकर गिर पड़े।

यह दृश्य न केवल चौंकाने वाला था, बल्कि यह दर्शाता है कि किस हद तक प्लेटफॉर्म पर हालात बिगड़ चुके थे। गिरने के बाद एक अन्य यात्री ने तुरंत आगे आकर जवान को उठाया और उन्हें खड़ा होने में मदद की।

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सोशल मीडिया पर उठे सवाल

इस घटना का वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर सामने आया, वह तेजी से वायरल हो गया। X (पहले ट्विटर) पर @tusharcrai नामक यूज़र ने इस वीडियो को पोस्ट करते हुए रेल मंत्रालय (@RailMinIndia) को टैग किया।

उन्होंने कैप्शन में लिखा:
“सरसों का तेल, यात्री रहें झेल। यूपी के इटावा रेलवे स्टेशन, प्लेटफॉर्म नंबर 2 संभल कर चलें, यात्री-RPF जवान फिसल रहे थे। आपकी यात्रा सुखद-मंगलमय हो, धन्यवाद।”

वीडियो वायरल होते ही यात्रियों की सुरक्षा को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। कई यूज़र्स ने नाराज़गी जताते हुए रेलवे प्रशासन से तुरंत कार्रवाई की मांग की।

रेलवे सेवा की त्वरित प्रतिक्रिया

इस घटना पर रेलवे सेवा के आधिकारिक हैंडल @RailwaySeva ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने डीआरएम प्रयागराज एनसीआर (@Drmncrald) को टैग करते हुए लिखा:
“संबंधित अधिकारियों को सूचित किया जा रहा है।”

रेलवे ने आश्वासन दिया है कि घटना की जानकारी अधिकारियों तक पहुंचा दी गई है और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

लोगों का गुस्सा और सुझाव

घटना को लेकर लोगों में गुस्सा साफ झलक रहा है। कई लोगों ने सवाल उठाया कि जब तेल फैलने जैसी खतरनाक स्थिति बनी, तो प्लेटफॉर्म स्टाफ ने तुरंत सफाई क्यों नहीं करवाई?

कुछ यूज़र्स का यह भी कहना था कि ऐसे हालात में बड़ी दुर्घटना हो सकती थी, खासकर जब प्लेटफॉर्म पर ट्रेन खड़ी हो। अगर कोई यात्री पटरी पर गिर जाता, तो यह हादसा और भी गंभीर हो सकता था।

यात्रियों और प्रशासन की जिम्मेदारी

यह घटना सिर्फ एक तकनीकी लापरवाही नहीं बल्कि सामूहिक जिम्मेदारी का मामला है। यात्रियों को भी अपने सामान की देखरेख करनी चाहिए ताकि ऐसी खतरनाक स्थिति न उत्पन्न हो। वहीं, रेलवे प्रशासन को तुरंत एक्शन लेने की नीति पर अमल करना चाहिए।

विशेषज्ञों का मानना है कि रेलवे प्लेटफॉर्म जैसे हाई ट्रैफिक क्षेत्रों में साफ-सफाई की व्यवस्था 24×7 एक्टिव मोड में होनी चाहिए और हर प्लेटफॉर्म पर इमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम तैनात रहनी चाहिए।

रेलवे अधिनियम क्या कहता है?

रेलवे अधिनियम के तहत, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना या यात्रियों को खतरे में डालना दंडनीय अपराध है। यदि CCTV फुटेज से उस यात्री की पहचान हो जाती है जिसकी वजह से तेल फैला, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।

निष्कर्ष

इटावा रेलवे स्टेशन की यह घटना एक बार फिर यह चेतावनी देती है कि सार्वजनिक स्थलों पर लापरवाही की कोई जगह नहीं है। चाहे यात्री हों या प्रशासन, दोनों को अपनी भूमिका समझनी होगी।

जहां एक ओर RPF जवानों की तत्परता सराहनीय रही, वहीं दूसरी ओर रेलवे प्रशासन को ऐसी घटनाओं से बचने के लिए प्रोएक्टिव अप्रोच अपनाने की ज़रूरत है।

आखिरकार, यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा ही रेलवे की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।

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